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Old 04-11-2014, 01:23 AM   #1
soni pushpa
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Default ------------गुस्सा------------

दोस्तों,... कई बार हम देखते हैं की लोग हरपल सिर्फ गुस्से में रहते हैं , हँसना क्या होता है शायद ये उन्हें मालुम ही नही होता .. बिना वजह किसी को डाटना , किसी का अपमान करना बस ये ही उन्हें आता है , और दूजो पे गुस्सा करके उन्हें सुकून मिलता है पर इससे आपकी छाप तो दूजो पर बुरी पड़ेगी ही किन्तु इससे पहले आप खुद का नुक्सान अधिक करते हैं ....

रोजमर्रा की जिंदगी में हमें तमाम तरह की मीठी-कड़वी बातों से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में गुस्*सा आना स्*वाभाविक है। लेकिन गुस्*सा अगर लत का रूप ले ले तो इस पर विचार करना जरूरी है। बात-बात पर गुस्*सा करने से हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। देखा गया है कि जो व्यक्ति गुस्सा नहीं करते, वो कम बीमार होते हैं।गुस्सा भी भावना का एक प्रकार है। लेकिन जब यह भावना व्यवहार और आदत में बदल जाती है, तो आप के साथ-साथ दूसरों पर इसका गंभीर असर पड़ने लगता है। इसके लिए जरूरी यह है कि अपने गुस्से की सही वजह को पहचाना जाए और उन पर नियंत्रण रखा जाए। अमूमन हमारे मन में सवाल होते हैं कि हम इससे किस तरह छुटकारा पाएं। लेकिन इससे पहले यह बात जानना जरूरी है कि गुस्से से छुटकारा keise पाएं। जिस व्यक्ति को गुस्सा ज्यादा आता है, उनमें ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, गंभीर रूप से पीठ में दर्द की शिकायत देखी गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पेट की शिकायत भी हो सकती है।व्यक्ति की भावनाएं (सोच), विचार और आदत में अंतर्संबंध होता है। विचार, सोच को प्रभावित करते हैं और सोच से आदत बदलती है। दूसरे पहलू पर विचार करें तो आपकी आदतें भी विचार में और फिर विचार भावनाओं में परिवर्तन लाते हैं। इन तीनों में से किसी एक में भी बदलाव आने पर बड़ा बदलाव दिखाई देता है।


गुस्से पर नियंत्रण करने के लिए जरूरी है, अपने बारे में ठीक से जानें कि आपका अपने प्रति व्यवहार कैसा है। *अपनी समस्याओं से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं और इस बात का पता लगाएं कि उक्त बात आपको वाकई गुस्सा दिलाने वाली थी। *अपने बदले व्यवहार से, जब आप गुस्से में हों, का आकलन करें और पता करें कि इससे आपको चाहने वाले लोग कितना आहत हुए होंगे। *इस बात का पता करें कि आपको किस बात पर गुस्सा आता है। गुस्से के समय इस बात पर ध्यान दें कि आपका शरीर, खास कर हाव-भाव और हाथ-पैरों की गतिविधि कैसी दिखती है। गुस्सा आने पर पानी पीएं। *अपना ध्यान दूसरी ओर केंद्रित करें। इस तरह की कई छोटी-छोटी बातों पर गौर करके आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं। गुस्से के दौरान किसी प्रकार की प्रतिक्रिया से बचना चाहिए। इससे लगभग सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं।हां, गुस्सा बना रहने पर इसे दूर करना जरूरी है। जिसकी बात आपको बुरी लगी है, संभव हो तो उसे सामान्य तरीके से अपनी नाराजगी के बारे में बता दें। यदि यह कर पाना ठीक नहीं लग रहा हो तो अपने किसी मित्र से इस बारे में बात करें। यहां इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपकी बात शिकायत में नहीं बदले .हंसने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है और दिल से हंसना तो किसी दवा से कम नहीं। यह एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। इसलिए आज जगह-जगह पर हास्य क्लब बनाए जा रहे हैं, ताकि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से मुक्ति मिले। क्या आप जानते हैं कि बातचीत करते समय हम जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उससे छः गुना अधिक ऑक्सीजन हंसते समय लेते हैं। इस तरह शरीर को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिल जाती है।



मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रसित व्यक्तियों को हंसते रहने की सलाह देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब आप मुस्कराते हैं तो आपका मस्तिष्क अपने आप सोचने लगता है कि आप खुश हैं- यही प्रक्रिया पूरे शरीर में प्रवाहित करता है और आप सुकून महसूस करने लगते हैं। जब आप हंसना शुरू करते हैं तो शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। तनाव में भी हंसने की क्षमता हो तो दुःख भी कुछ कम लगने लगता है। हंसने के लाभ भी बहुत होते हैं जैसे-* हंसते समय क्रोध नहीं आता। * हंसने से आत्मसंतोष के साथ सुखद अनुभूति होती है। * शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है। * हंसने से मन में उत्साह का संचार होता है। * ब्लड प्रेशर कम होता है। * हंसी मांसपेशियों में खिंचाव कम करती है।
------------------------------- हंसते-हंसते जीना सीखो----------------------
हंसने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है और दिल से हंसना तो किसी दवा से कम नहीं। यह एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। इसलिए आज जगह-जगह पर हास्य क्लब बनाए जा रहे हैं, ताकि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से मुक्ति मिले। क्या आप जानते हैं कि बातचीत करते समय हम जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उससे छः गुना अधिक ऑक्सीजन हंसते समय लेते हैं। इस तरह शरीर को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिल जाती है।


मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रसित व्यक्तियों को हंसते रहने की सलाह देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब आप मुस्कराते हैं तो आपका मस्तिष्क अपने आप सोचने लगता है कि आप खुश हैं- यही प्रक्रिया पूरे शरीर में प्रवाहित करता है और आप सुकून महसूस करने लगते हैं। जब आप हंसना शुरू करते हैं तो शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। तनाव में भी हंसने की क्षमता हो तो दुःख भी कुछ कम लगने लगता है। हंसने के लाभ भी बहुत होते हैं जैसे-

* हंसते समय क्रोध नहीं आता।

* हंसने से आत्मसंतोष के साथ सुखद अनुभूति होती है।

* शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है।

* हंसने से मन में उत्साह का संचार होता है।

* ब्लड प्रेशर कम होता है।

* हंसी मांसपेशियों में खिंचाव कम करती है।

पढ़ा न आपने अब आज से गुस्सा छोडिये और बस सिरफ़ और सिरफ़ हँसते रहिये.. अरे जीवन कितना छोटा है, कितना प्यारा है क्यूँ न इसे हंस के जिया जाय ?

कहिये आपकी क्या राय है?

Last edited by soni pushpa; 04-11-2014 at 01:34 AM.
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