02-07-2016, 08:26 AM
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Re: Nirmal mann
Quote:
Originally Posted by soni pushpa
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तुम लोग जिनको अशिक्षित, गँवार, बूढ़ा समझते हो वे बुजुर्ग के जहाँ से तमाम विद्याएँ निकलती हैं.... उस आत्मदेव में विश्रान्ति पाये हुए आत्मवेत्ता संत हैं।
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तीर्थी कुर्वन्ति जगतीं....
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ऐसे आत्मारामी ब्रह्मवेत्ता महापुरुष जगत को तीर्थरूप बना देते हैं।
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अपनी दृष्टि से, संकल्प से, संग से जन-साधारण को उन्नत कर देते हैं।
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ऐसे पुरुष जहाँ ठहरते हैं, उस जगह को भी तीर्थ बना देते हैं।
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बहुत रोचक, ज्ञानवर्धक व प्रेरणा देने वाला प्रसंग. शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
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