Re: मुहावरों की कहानी
मुहावरों वाली कथा (3)
हम सोचने लगे कि 14 सितम्बर को जब हिंदी दिवस मनाया जाएगा, हिंदी पखवाड़े में हमारे पाठकों की मुहावरा ज्ञान परीक्षा होगी तो उन पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ेगा. बेचारे काम काज के बोझ से थक टूट कर घर जायेंगे. ऐसे में वो पारिवारिक या सामाजिक दायित्व निभायेंगे या पढ़ेंगे. हम चाहते हैं कि उन्हें इतने मुहावरे इस रचना के माध्यम से सिखा दें कि उनके फटाफट दिए गये जवाबों से हैरान हो कर लोग अपने दांतों तले ऊँगली दबा लें, उनकी धाक जम जाये, लोग उनका लोहा मानने लगें, दुश्मनों के तो दांत खट्टे हो जाएँ, दुश्मनों को लोहे के चने चबाने पड़ें, नाकों चने चबाने पड़ें तथा उन्हें अपनी नानी याद आ जाए.
(क्रमशः)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 01-10-2017 at 11:21 PM.
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