View Single Post
Old 17-03-2013, 03:29 PM   #1384
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

बच्चों को कुबडा बना रहे हैं वजनी स्कूल बैग

नई दिल्ली। स्कूली बच्चों की पीठ पर लदा भारी स्कूल बैग उन्हें स्थाई या अस्थाई रूप से कुबड़ा बना सकता है। सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन (एसडीएफ) के तहत किए गए एसोसिएटेड चैम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) सर्वेक्षण के अनुसार पांच से 12 वर्ष के आयु वर्ग के 82 प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी पीठ पर अत्यधिक भारी बैग ढोते हैं जिसके कारण बच्चों में कमर दर्द जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। रीढ़ चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बहुत अधिक भारी बस्ते ढोने से उनमें अस्थाई अथवा स्थाई कूबड़पन भी पैदा हो सकता है। एसोचैम की ओर से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार दस साल से कम उम्र के करीब 58 प्रतिशत बच्चे हल्के कमर दर्द के शिकार हैं जो बाद में गंभीर दर्द एवं कूबड़पन का कारण बन सकता है। कूबड़पन की चिकित्सा के विशेषज्ञ डा. शिशिर कुमार के अनुसार पूरी आबादी में करीब चार प्रतिशत लोग इससे पीड़ित होते हैं और प्रति दो हजार बच्चों में एक बच्चा कुबडेþपन का शिकार होता है। लड़कियों में कू बड़पन दस गुना अधिक होता है। आरएलकेसी हास्पिटल एंड मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट के अस्थि शल्य चिकित्सक डा. शिशिर कुमार के अनुसार अगर समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो यह शरीर में विकलांगता पैदा कर सकती है। किसी असामान्यता के चलते या दुर्घटना का शिकार होने पर रीढ़ मे आए विकार के कारण स्कोलियोसिस हो सकती है। कभी-कभी श्रोणि प्रदेश के झुक जाने के कारण एक पैर छोटा या एक पैर बड़ा हो जाता है। नतीजतन रीढ़ भी झुक जाती है। विशेष किस्म के आर्थोपैडिक जूतों का उपयोग करने से भी इससे बचा जा सकता है। यही नहीं अगर रीढ़ का झुकाव लगातार होता रहे तो आर्थोपैडिक सर्जन से परामर्श करके शल्य क्रिया भी कराई जा सकती है। डा. कुमार के अनुसार कूबड़पन से जुड़े ज्यादातर कारण वैसे तो जन्मजात होते हैं लेकिन लगातार अधिक वजन उठाने, गलत तरीके से बैठने आदि कारणों से भी कूबड़पन की समस्या हो सकती है। यह विकृति महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। जब लोगों में 10 डिग्री से ज्यादा टेढ़ापन होता है तब उस विकृति को स्कोलियोसिस कहते हैं। एसोचैम सर्वेक्षण से पता चलता है कि हमारे देश में करीब 82 प्रतिशत बच्चे अपनी पीठ पर अपने पूरे वजन का 35 प्रतिशत हिस्सा लेकर चलते हैं। एसोचैम स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष डा. बी के राव के अनुसार पीठ पर अत्यधिक वजन या असामान्य वजन से पीठ की समस्या या रीढ़ में विकृति हो सकती है। अत्यधिक वजन के कारण रीढ़ पर पड़ने वाले दवाब के कारण (मस्कुलो-स्केलेटल प्रणाली) के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, देहरादून, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद सहित दस बडेþ शहरों में किए गए इस सर्वेक्षण से पता चला कि जिन दो हजार स्कूली बच्चों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया उनमें से 12 साल से कम उम्र के करीब 1500 बच्चे किसी सहारे के बिना ठीक से बैठ भी नहीं पाते हैं और वे हड्डी से सम्बंधित समस्याओं से ग्रस्त हैं तथा 40 प्रतिशत शारीरिक तौर पर निष्क्रिय हैं। डा. कुमार के अनुसार लड़कों की तुलना में लड़कियों में पीठ दर्द की समस्या अधिक व्यापक है। कूबड़पन के मामले में गंभीर बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इसका पता 25 से 30 वर्ष की उम्र में लगता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो 50 से 60 फीसदी तक कूबड़पन हो जाए तो उसका उपचार सिर्फ आपरेशन से ही संभव है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote