View Single Post
Old 14-12-2010, 09:43 AM   #24
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

मुल्ला नसरुद्दीन-17
पिछले बार आपने पढ़ाः गरीबों का मसीहा बना मुल्ला)

… मुल्ला नसरुद्दीन खुलकर हँसने लगा। लेकिन उसे यह देखकर बड़ी हैरानी हुई कि उसकी हँसी में कोई भी शामिल नहीं हुआ। वे लोग सिर झुकाए, ग़मगीन चेहरे लिए ख़ामोश बैठे रहे। उनकी औरतें गोद में बच्चे लिए चुपचाप रोती रहीं। ‘जरूर कुछ गड़बड़ है!’ उसने सोचा और उन लोगों की ओर चल दिया।.....उसके आगे )

मुल्ला बना मसीहा

मुल्ला नसरुद्दीन ने पुकारकर कहा, ‘सुनो भाई, अगर तुम्हें सूदख़ोर का कर्ज़ नहीं देना तो तुम वहाँ क्यों बैठे हो?’

‘कर्ज़ मुझ पर भी है।’ उस आदमी ने भर्राए गले से कहा, ‘कल मुझे ज़ंजीरों में जकड़कर गुलामों के बाजा़र में बेचने के लिए ले जाया जाएगा।’

‘लेकिन तुम चुपचाप क्यों बैठे रहे?’

‘ऐ मेहरबान और दानी मुसाफिर, मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो? हो सकता है तुम फ़क़ीर बहाउद्दीन हो और ग़रीबों की मदद करने के लिए अपनी क़ब्र से उठकर आ गए हो। या फिर ख़लीफा़ हारून रशीद हो। मैंने तुमसे इसलिए मदद नहीं माँगी कि तुम काफ़ी रुपया ख़र्च कर चुके हो। मेरा क़र्ज सबसे ज्यादा है। पाँच सौ तंके। मुझे डर था कि अगर तुमने इतनी बड़ी रक़म मुझे दे दी तो इन औरतों की मदद के लिए कहीं तुम्हारे पास रुपया न बचे।’

‘तुम बहुत ही भले आदमी हो। लेकिन मैं भी मामूली भला आदमी नहीं हूँ। मेरी भी आत्मा है। मैं कसम खाता हूँ कि तुम कल गुलामों के बाजार में नहीं बिकोगे। फैलाओ अपना दामन।’

और उसने अपने थैले का अंतिम सिक्का तक उसके दामन में उलट दिया। उस आदमी ने मुल्ला नसरुद्दीन को गले से लगाया और आँसूओं से भरा चेहरा उसके सीने पर रख दिया।

अचानक लंबी दाढ़ीवाला भारी भरकम संगतराश जो़र से हँस पड़ा- ‘सचमुच आप गधे से बड़े मजे से उछले थे।’

सभी लोग हँसने लगे। ‘हो, हो, हो, हो,’ मुल्ला नसरुद्दीन हँसी के मारे दोहरा हुआ जा रहा था, ‘आप लोग नहीं जानते कि यह गधा है किस किस्म का। यह बड़ा पाजी गधा है।’

‘नहीं-नहीं, अपने गधे के बारे में ऐसा मत कहिए।’ बीमार बच्चे की माँ बोल उठी, ‘यह दुनिया का सबसे बेशक़ीमती, होशियार और नेक गधा है। इस जैसा न तो कोई गधा हुआ है और न होगा। खाई पार करते समय अगर यह उछला न होता और जी़न पर से आपको फेंक न दिया होता तो आप हमारी ओर देखे बिना ही चुपचाप चले जाते। हमें आपको रोकने की हिम्मत ही न होती।’

‘ठीक कहती है यह।’ बूढ़े ने कहा, ‘हम सब इस गधे अहसानमंद हैं, जिसकी वजह से हमारे दुख दूर हो गए। सचमुच गधों का ज़ेवर है। यह गधों के बीच हीरे की तरह चमकता है।’

सब लोग गधे की प्रशंसा करने लगे। दिन डूबने वाला था। साये लंबे होते चले जा रहे थे। मुल्ला नसरुद्दीन ने उन लोगों से जाने की इजाजत ली।

‘आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने हमारी मुसीबतों को समझा।’ सबने झुककर कहा।

‘कैसे न समझता। आज ही मेरे चार कारख़ाने छिन गए हैं, जिनमें आठ होशियार कारीगर काम करते थे। मकान छिन गया है, जिसके बीच में फव्वारे थे। पेड़ों से लटकते सोने की पिंजरों में चिड़िया गाती थीं। आपकी मुसीबत भला मैं कैसे न समझता?

ऐ मुसाफ़िर, शुक्रिया के तौर पर भेंट देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। जब मैंने अपना घर छोड़ा था, एक चीज़ अपने साथ लेता आया था। यह है कुरान शरीफ़। इसे तुम ले लो। खुदा करो इस दुनिया में यह तुम्हें रास्ता दिखाने वाली रोशनी बने।’ बूढ़े ने भावुक स्वर में कहा।
__________________
Follow on Instagram , Twitter , Facebook .
ABHAY is offline   Reply With Quote