उस दौर में थिएटर आसान नहीं था, लेकिन पृथ्वीराज कपूर ने इसे प्राथमिकता दी. उन दिनों थियेटर पर पारसी प्रभाव अधिक था. पृथ्वीराज कपूर ने पृथ्वी थियेटर के जरिए पहली बार सही मायने में आधुनिक थियेटर की धारणा को साकार किया. जब स्टेज पर पृथ्वीराज की भारी भरकम आवाज गूंजती तो दर्शक मंत्रमुग्ध रह जाते.
पृथ्वी थियेटर के नाटकों में यथार्थवाद और आदर्शवाद पर विशेष जोर दिया जाता था. इसके साथ ही सामाजिक जागरूकता, देशभक्ति और मानवीयता जैसे पक्षों को भी उभारने की कोशिश रहती थी. उनके प्रमुख नाटकों में दीवार, पठान, किसान, आहुति आदि शामिल हैं.
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^^ 1. पृथ्वी थिएटर का आशय वाक्य: कला देश के लिये
2. 'पठान' नामक नाटक में पृथ्वीराज कपूर और प्रेमनाथ