आतंरिक सुंदरता
आतंरिक सुंदरता
साभार: नीलम शुक्ला
आजकल युवा बाहरी सौंदर्य को ही वास्तविक सौंदर्य मान उसके पीछे भागते हैं पर सच्चाई यही है कि बाहरी सौंदर्य आपकी नजरों को तो आकर्षित कर सकता है पर आपके दिमाग को वहीं भाएगा जो आंतरिक तौर पर सुंदर है। इसलिए बाहरी सौंदर्य के पीछे भागने से बेहतर है व्यक्ति के अंतर मन को पढ़े। इतिहास गवाह है कि दुनिया में कई असुंदर लोगों ने वो कारनामा कर दिखाया है जो कई बार बेहद खूबसूरत इंसान नहींकर पाते हैं।
कुदरत का अटूट नियम है कि किसी व्यक्ति की पहली झलक उसके बाहरी प्रत्यक्ष रूप से ही बनती है। लेकिन असुंदर या कम सुंदर व्यक्तियों ने अपने जीवन में ऐसी अन्यतम उपलब्धियां अर्जित कीं कि वे भी अपने महत्वपूर्ण कार्यों से सुंदर लोगों की श्रेणी में गिने जाने लगे। इसलिए सौंदर्य की हमारी परिभाषा सिर्फ बाहरी सौंदर्य तक सीमित नहीं है। आंतरिक सौंदर्य ही किसी व्यक्ति को आकर्षक बनाता है। इसीलिए महान व्यक्ति हमें प्रिय लगते हैं। हम उनके आचरण और गुणों को देखते हैं और उनका बाहरी रूपाकार हमारे लिए मायने नहीं रखता।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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