Re: Kuchh mahtvapurn jankariyan kidney ke bare me
4⃣ Serum Creatinin Test
यह टेस्ट ब्लड में क्रियटिनिन (यह यूरिया की तरह शरीर के लिये जहर होता है) की मात्रा को बतलाता है सामान्य व्यक्ति में इसकी मात्रा 1.2 तक मानी गयी है कभी कभी बी.पी. कम ज्यादा होने के चलते यह कम ज्यादा होता रहता है।
मगर इसकी मात्रा 1.8 से अधिक होने पर यह खतरे का सिग्नल होता है क्योकि इसके बढने से बहुत सारी परेशानियां शुरु हो जाती है
जैसे - खाना खाते समय उल्टी आना, मुंह का कडवापन, पेशाब कम बनना।
क्रियटिनिन के बढने का मतलब है कि किड़नी अपना काम सही से नही कर पा रही है जिसके चलते क्रियटिनिन पेशाब में जाने कि बजाय खून में ही रुकने लगा है जबकि किड़नी फैल की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी होती है अर्थात् पेशाब में प्रोट्रीन की शुरुआत होने से, मगर क्रियटिनिन बहुत बाद में (2-6 माह बाद) बढ़ना शुरु होता है।
कभी कभी क्रियटिनिन 1.8 से 7 के बीच ही बना रहता है और किड़नी 5 स्टेज में पँहुच जाती है
जब कभी अचानक से पेट दर्द या उल्टियाँ होना स्टार्ट होती है या क्रियटिनिन अचानक से 12 से ऊपर पँहुच जाता है तब हम टेस्ट करवाते है तब पता चलता है की किड़नी लास्ट स्टेज में पहुँच गई तब तक बहुत देर हो चुकी होती है उस कंडीशन में डायलिसिस करवा कर ही क्रियटिनिन को कम करने का विकल्प होता है ऐसे समय में दवाओं से क्रियटिनिन इतनी जल्दी (2-3 दिन में) कम नहीं हो पाता ऐसी स्थिति से बचने के लिये समय समय पर Estimated G.F.R. कराते रहना चाहिये क्योंकि 20 से कम G.F.R. वालों में एंव डायलिसिस वाले पेशेंट में रिकवरी बहुत ही धीमे होती है जिसमें 3-4 साल लग सकते है।
5⃣ Whole Abdomen U.S.G.
यह सोनोग्राफी किड़नी के साथ साथ लीवर, तिल्ली, प्रोस्टेट, स्टोन (पथरी) की स्थिति को बतलाती है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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