Special Member
Join Date: Dec 2011
Location: किसी के दिल में
Posts: 3,781
Rep Power: 33
|
Re: मकर संक्रांति और पोंगल ..
इसके अतिरिक्त कोई संक्रान्ति यथा मेष या कर्क आदि क्रम से मन्दा, मन्दाकिनी, ध्वांक्षी, घोरा, महोदरी, राक्षसी, मिश्रित कही जाती है, यदि वह क्रम से ध्रुव, मृदु, क्षिप्र, उग्र, चर, क्रूर या मिश्रित नक्षत्र से युक्त हों। 27 या 28 नक्षत्र निम्नोक्त रूप से सात दलों में विभाजित हैं-
ध्रुव (या स्थिर) – उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपदा, रोहिणी
मृदु – अनुराधा, चित्रा, रेवती, मृगशीर्ष
क्षिप्र (या लघु) – हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित
उग्र – पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपदा, भरणी, मघा
चर – पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, स्वाति , शतभिषक
क्रूर (या तीक्ष्ण) – मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा, आश्लेषा
मिश्रित (या मृदुतीक्ष्ण या साधारण) – कृत्तिका, विशाखा . ऐसा उल्लिखित है कि ब्राह्मणों के लिए मन्दा, क्षत्रियों के लिए मन्दाकिनी, वैश्यों के लिए ध्वांक्षी, शूद्रों के लिए घोरा, चोरों के लिए महोदरी, मद्य विक्रेताओं के लिए राक्षसी तथा चाण्डालों, पुक्कसों तथा जिनकी वृत्तियाँ (पेशे) भयंकर हों एवं अन्य शिल्पियों के लिए मिश्रित संक्रान्ति श्रेयस्कर होती है
__________________
************************************
मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
*************************************
|