09-12-2010, 03:29 PM
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Re: " रामायण "
बिरला ही कोई ऐसा भारतीय होगा जिसे कि “राम” के विषय में जरा भी जानकारी नहीं होगी, कम से कम उसने राम का नाम तो अवश्य ही सुना होगा। यह तो हम जानते हैं कि “राम” महान थे परंतु उनकी महानता क्या और कितनी थी यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। और जो लोग जानते भी हैं वे भी ‘कुछ’ ही जानते हैं क्योंकि इस विषय में पूरा-पूरा जानना असम्भव है। आइये, इस ‘ब्लॉग’ के माध्यम से हम भी रामकथा के विषय में कुछ जानने का प्रयास करें।
“राम”, “रामायाण” तथा “रामचरित मानस” के विषय में कुछ जानने के पूर्व ‘महर्षि वाल्मीकि’ और ‘संत तुलसीदास’ के विषय में जानना अति आवश्यक है क्योंकि उन्होंने “राम” के चरित्र को केन्द्रित करके “रामायाण” तथा “रामचरित मानस” जैसे महान और अमर ग्रंथों को रचा।
कैसी विडंबना है कि हमारे देश के आज का युवा वर्ग “रामायण” को ‘रामानंद सागर’ के नाम से जानता है जब कि उसे ‘महर्षि वाल्मीकि’ एवं ‘संत तुलसीदास’ के नाम से जानना चाहिये, वैसे ही “महाभारत” को ‘बी.आर. चोपड़ा’ के नाम से जानता है जब कि उसे ‘महर्षि वेद व्यास’ के नाम से जानना चाहिये।
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Last edited by Hamsafar+; 09-12-2010 at 03:51 PM.
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