पांडवों के अज्ञातवास के बारे सभी ने सुना होगा. बहुत कुछ जानते भी होंगे, लेकिन अपने अज्ञातवास के दौरान वो खाने की जिन सामग्रियों का उपयोग करते थे उसे शायद ही किसी ने देखा होगा.उन दिनों पांडव जिस गेहूं का आटा खाते थे उसका एक दुर्लभ दाना आज भी बचा हुआ है. यह अकेला दाना 200 ग्राम का है. शिमला में ममलेश्*वर महादेव के मंदिर में है यह गेहूं का दाना. करसोग के ममेल गांव में जहां अज्ञातवास के दौरान पांडव ठहरे थे, वहां आज भी उनकी निशानियां मौजूद हैं. केवल गेहूं का दाना ही नहीं बल्कि वहां आज भी मौजूद है भीम का ढोल जो कहता है कहानी भीम की विरता की, सुनाता है कहानी भीम की शिव भक्ति की.
(source: Mr. Prshant chawla's blog)