देश मे सुधार
नमस्कार मित्रो, ये पोस्ट इस देश मे हो रहे महिलाओ के प्रति आत्यचार के कुछ कारणों से ताल्लुक रखता है। क्या हमने कभी सोचा हे इस आधुनिक भारत मे कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियाँ आज भी क्यों कायम हैं। मेरा मानना है इसका थोडा कारण महिलाएँ स्वयं है क्योंकि वे विरोध नहीं करती हैं। हमारे समाज के डर से अथवा आपने भाग्य मे लिखा हुआ मान लेती हैं, मैं यहाँ आम महिलाओं की बात कर रहा हूँ। किन्तु क्या आप जानते हैं इन अत्याचारो का मुख्य कारण पुरुष हैं, आप और हम जैसे क्योंकि भारत एक पुरुष प्रधान देश है जिस जगह महिलाओं को देवी का दर्जा प्राप्त है पर पीड़ा ये है आज उसी देश में उसका शोषण हो रहा है।
आप अभी तक सोच रहे होंगे कैसे? पहेले हम दहेज प्रथा पर आते हैं, आज भी इस देश में बेटी की पढाई से ज्यादा बेटी की शादी मे खर्च किया जाता है और आज भी हमारे समाज मे बेटियों को बोझ समझा जाता है ऐसा क्यों? दहेज हमेशा लड्के वाले डिमान्ड करते है वो भी हाई-फाई। क्या आप पुरुष होने के नाते ये सोच सकते हैं कि जिनके घर मे दो वक्त का खाना ढंग से नहीं बन पाता वो कहा से इतना कुछ करेंगे, मगर वो भी अपनी बेटी के खातिर खून पसीना एक करते हैं, कर्जा लेते हैं और डिमान्ड पूर्ण करते है। किन्तु क्या आपने सोचा उस बेटी के बारे मे, क्या वो मन ही मन दुखी न होगी, उसकी शादी के कारण घर वालो को हो रही तकलीफों को देख कर, और आप दिल से सोचिये क्या वो निश्चित तौर पर स्विकार न कर लेती होगी जो उसे समाज बचपन से सुनाता आ रहा है कि बेटियाँ इस धरती पर बोझ होती हैं,,,,जो कि कहीं न कहीं इन महिलाओ का कन्या भ्रूण हत्या से ताल्लुक रखता है और ये महिलाएँ खुद बच्चियों को बोझ समझने लगती है, पर मैं आपसे जानना चाहूँगा कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? हम हमेशा ये मानते आये हे कि भ्रूण हत्या मे अधिक योगदान माँ का होता है, परन्तु क्या हमने कभी सोचा कि पुरुषों की भीख माँगने की आदत क्या-क्या विनाश कर सकती है?
मित्रों ये सिर्फ मेरे विचार मात्र हैं, पर सारी समस्याओं के लिये हमे एकजुट होना पडेगा। हमारे देश मे कई बेटियाँ ऐसी भी है जिन पर हम सबको गर्व है और हमें महिलाओं का सशक्तिकरण हर हाल में करना है। महिलाएँ भी जागरुक हो रही हैं और अपने खिलाफ हो रहे आत्याचरों का विरोध कर रही हैं इसका अन्दाजा हम बढ्ते हुए तलाकों से लगा सकते है।
हममें से काफी लोग सोचते हैं कि हमारे समाज में बिना दहेज के शादी नहीं होती तो माफ करियेगा किन्तु वो आप ही का समाज है जहाँ बहु-बेटियों को दहेज क नाम पर जला कर मार दिया जाता है॥"THINK OVER IT"। यदि आप अभी छोटे हैं और आप कुछ नहीं कर सकते हैं अपने बडो के सामने तो कम से कम अपने लिये तो दहेज कि डिमान्ड न करियेगा। क्योंकि हमारे एक कदम से देश की दो परेशानियों का हल निकलेग। इस देश के युवाओ को एक पहल करने की जरुरत जिससे इस देश का भला हो। "सोच बदलो देश बदलेगा"।
Take an oath you will never demand a dowry @ Be a REAL MAN.
।" जय हिन्द"।
Last edited by Pavitra; 31-07-2015 at 02:23 PM.
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