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Old 31-07-2015, 04:19 PM   #4
Rajat Vynar
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Default Re: देश मे सुधार

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Originally Posted by pavitra View Post
मैं आपकी बात से सहमत हूँ कि महिलाओं की मौजूदा स्थिति के पीछे काफी हद तक हमारा पुरुष प्रधान समाज ही जिम्मेदार है । दहेज की प्रथा ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है महिलाओं की स्थिति को इस देश में । पर जिन देशों में दहेज की प्रथा नहीं है वहाँ पर भी महिलाओं की स्थिति में कोई खास अन्तर नहीं देखने को मिलता । बढ रहे बलात्कार, घरेलू हिंसा , छेड-छाड के किस्से हर देश में हैं और लगातार बढ ही रहे हैं, और इसके लिये भी कुछ हद तक पुरुष जिम्मेदार हैं । पुरुषों की मानसिकता में बदलाव से ही इन स्थितियों में बदलाव लाया जा सकता है ।

लेकिन आज कल महिला सशक्तिकरण के नाम पर पुरुषों का जो शोषण हो रहा है मैं उसका भी पुरजोर विरोध करती हूँ । महिलाओं को सशक्त करने की जरुरत है परन्तु पुरुषों को शोषित नहीं करना चाहिये । हाँ ,समाज में तलाक बढ रहे हैं , पर उनमें से बहुत से केस फर्जी भी होते हैं जिनमें महिलाएँ झूठा मुकदमा करती हैं और ना सिर्फ पैसों की माँग करती हैं बल्कि बहुत से केस में पूरे परिवार को सजा तक दिलवाती हैं । महिलाओं को सुरक्षा देने के लिहाज से उनके लिये जो कानून बनाए गए उन कानूनों का ही दुरुपयोग किया जा रहा है।

समाज महिलाओं और पुरुषों से मिलकर बनता है । ठीक है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान है इसलिये पुरुषों की बातों को ही ज्यादा तवज्जो दी जाती है , पर क्या कभी सोचा है कि घरेलू हिंसा में क्या सिर्फ पुरुष ही जिम्मेदार होते हैं? ज्यादतर मामलों में सिर्फ पुरुष ही गुनहगार नहीं होते , महिलाएँ भी हिंसा में उनका साथ देती हैं । बहुओं को प्रताडित करने में एक स्त्री के पति का योगदान होता है तो बहुत बार सास , ननद , झेठानी या देवरानी का भी हाथ होता है । यहाँ एक महिला ही दूसरी महिला की दुश्मन बन जाती है ।

वास्तविकता यह है कि हर महिला का शोषण नहीं होता और ना ही हर पुरुष हैवान होता है । सच्चाई ये है कि हमारे समाज में हर कमजोर व्यक्ति का शोषण होता है चाहे वो महिला हो या पुरुष । हर ताकतवर व्यक्ति अपने से कमजोर व्यक्ति का शोषण करता है । जरुरत हमें हमारी मानसिकता बदलने की है । अपनी जिम्मेदारी समझने की है कि कमजोर व्यक्ति को हमें शोषित नहीं करना बल्कि उसे सक्षम बनाने के लिये प्रयास करना है ।
एक संतुलित टिप्पणी, बधाई हो पवित्रा जी।
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रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम...
सीता राम सीता राम भज प्यारे तू सीता राम...
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