07-01-2015, 09:14 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
क्योंकि प्रेम तुम्हें जिस प्रकार मुकुट पहनाता है उसी प्रकार सूली पर भी चढ़ाएगा. जिस प्रकार वह तुम्हारा विकास करता है, उसी प्रकार वह तुम्हारी कांट-छांट भी करता है.
जिस प्रकार वह तुम्हारी उंचाई तक चढ़ कर सूर्य की किरणों में कांपती हुई तुम्हारी कोमल कोंपलों की भी देखभाल करता है, उसी प्रकार तुम्हारी गहराइयों में उतर कर, भूमि में गड़ी हुई तुम्हारी जड़ों को भी झकझोर डालता है.
अनाज की बालियों की तरह वह तुम्हें अपने अंक में भर लेता है.
तुम्हें स्वच्छ करने के लिए कूटता है. वह तुम्हारी भूसी दूर करने के लिए तुम्हें फटकारता है. तुम्हें पीस कर श्वेत बनता है. तुम्हें नरम बनाने के लिए तुम्हें गूंथता है. और अंततः वह तुम्हें अपनी पवित्र अग्नि में सेंकता है जिससे तुम प्रभु के थाल की पवित्र रोटी बन सको.
प्रेम तुम्हारे साथ यह सारी लीला इसलिए करता है कि तुम अपने अंतरतम के रहस्यों को समझ सको और उसी ज्ञान द्वारा दिव्य हृदय का एक अंश बन सको.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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