Re: रहस्य रोमांच की कहानियाँ
तभी ऊपर से एक आदमी का कटा हुआ पांव गिरा. मोहन ने उसे पकड़ा और चूल्हें में झोंक दिया. बोला-अब आ साले...
जोरों से हंसने की आवाज आयी और एक आदमी सामने आ खड़ा हुआ. उसने कहा- वाह बहादुर! तुम बिल्कुल नहीं डरे. लोग तो मेरी आहट से ही कांप जाते हैं.
मोहन--क्या चाहते हो. किसलिये ये सब कर रहे थे.
व्यक्ति-मुझे तुमसे बहुत जरूरी काम कराना है. तुम हिम्मती हो इसलिये मुझे विश्वास है कि तुम कर सकते हो.
मोहन-क्यों करूं तुम्हारा कोई काम...मुझे इससे क्या फायदा होगा...?
---तुम मेरा काम करोगे तो मैं तुम्हारा एक काम कर दूंगा. तुम जो भी चाहो.साथ में कुछ ईनाम भी दूंगा.
---क्या मेरा तबादला वापस पुरानी जगह करा सकते हो....?
---बिल्कुल करा दूंगा...वादा करता हूं...
---तो फिर ठीक है. बोलो तुम्हारा क्या काम है.
---देखो मैं एक प्रेत हूं...मेरा भाई भी प्रेत है. उसे एक तांत्रिक ने कैद कर लिया है. वह उसे एक घड़े में बंद कर कल श्मशान ले जायेगा और जमीन में गाड़कर भस्म कर देगा. फिर वह कभी आजाद नहीं हो सकेगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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