Re: Kuchh mahtvapurn jankariyan kidney ke bare me
*कैसे होती है किड़नी ठीक (रिकवर)*
जब दवाओं से पेशाब में प्रोट्रीन का जाना कम होने लगता है या बंद हो जाता है या सामान्य अवस्था में आ जाता है तब शरीर स्वंय किड़नी को हील (ठीक) करने लगता है जिससे किड़नी की कार्य क्षमता बढ़ने लगती है और G.F.R. बढ़कर सामान्य (90+) की तरफ आने लगता है जिसके चलते क्रियटिनिन छनकर पेशाब के रास्ते जाने लगता है जिससे सीरम क्रियटिनिन कम या सामन्य होने लगता है अर्थात् किड़नी नॉर्मल होने लगती है
इस सम्पूर्ण हीलिंग प्रक्रिया में कम से कम 18 से 30 माह (व्यक्ति विशेष के लिये कम या ज्यादा हो सकता है) का समय हो सकता है।
*किड़नी फेल्युअर दो तरह का होता है*
1⃣ पॉली सिस्टिक किड़नी (PKD) -
यह जेनेटिक डिस-ऑडर होता है जिसमें किड़नी में सिस्ट बनने लगते है जिसके कारण किड़नी की कार्य करने की क्षमता धीरे धीरे खत्म होने लगती है
इसका सिर्फ मैनेजमेंट ही संभव है (अर्थात् गंभीर स्थिति में जाने से रोकना या ज्यादा बीमारी को न बड़ने देना) इसे पूर्णत: ठीक नही किया जा सकता।
2⃣ क्रोनिक किड़नी डिजीज (CKD) -
यह सही समय पर उपचार से ठीक हो सकती है
यह कई कारणों से हो सकती है जिनमें मुख्य है
A. बी.पी. कम या ज्यादा होना
B. लम्बे समय से शुगर होना
C. लम्बे समय से थायरॉइड होना
D. लम्बे समय से ड्रग्स का सेवन
E. लम्बे समय से किड़नी में स्टोन का होना
F. लम्बे समय से यूरिन इंफेक्शन का होना
G. लम्बे समय से पेशाब में प्रोट्रीन का जाना
*क्यों जरुरी है 5 टेस्ट ?*
क्योंकि यह 5 टेस्ट आपको आपकी वास्तविक स्थिति बतलाते है
1⃣ Urine Test (Microscopic + Routine)
यह टेस्ट आपको यूरिन में क्या जा रहा है ये बतलाता है जैसे ब्लड़, पस सेल्स, प्रोट्रीन,बैक्टेरिया आदि
अगर बैक्टेरिया या प्रोट्रीन (एलब्युमिन) प्लस में आता है तो तुरंत उपचार करायें इसे हल्के में न ले यह किड़नी फेल्युअर की शुरुआत कि निशानी हो सकती है
प्रोट्रीन(एलब्युमिन) का जितना ज्यादा प्लस साइन होते है यानि उतनी ही तेजी से प्रोट्रीन पेशाब में जा रहा है और स्थिति उतनी ही गंभीर होती जाती है
2⃣ Urine Micro Albumin Test
यह टेस्ट आपको यूरिन में एलब्युमिन प्रोट्रीन की मात्रा की दर को बतलाता है।
एक स्वस्थ्य व्यक्ति में इसकी मात्रा 08-12 होती है अगर रिपोर्ट में इसकी वेल्यु 20 से अधिक हो रही है तो वह किड़नी फेल्युअर की दर को दर्शाती है
इसकी जितनी ज्यादा वेल्यु बढ़ती जाती है ठीक उतनी ही तेजी से किड़नी की कार्य क्षमता कम होती जाती है
पेशाब में प्रोट्रीन के जाने के चलते पैरों में सूजन आना, कमर दर्द के साथ वजन घटना, पैरो में भारीपन और थकान बनी रहना, किड़नी का सिकुड़ना जैसे लक्षण आने लगते है।
3⃣ Estimated G.F.R. Test
यह टेस्ट आपको किड़नी की युरिन (पेशाब) छानने की दर को बतलाता है जो कि सामान्य व्यक्ति का 90 से ऊपर होता है
अगर यह कम आ रहा है तो आपकी किड़नी पूर्णतः काम नही कर रही है साथ ही यह टेस्ट किड़नी की स्टेज को भी बतलाता है
किड़नी की स्टेज जानने के लिये यह टेस्ट अवश्य करायें इस टेस्ट के बगैर किड़नी की स्टेज का अंदाजा लगाना गलत होगा
कभी कभी हम बगैर टेस्ट कराये किड़नी की लास्ट स्टेज मान कर हतास हो जाते है जो कि अपने आप से ही धोखा है (कोई भी बीमारी को इंसान अपने हौसले और साहस से हरा सकता है इसलिये कभी भी हौसले और साहस को कदापि न छोड़े।
आपका हौसला ही आपको स्वस्थ्य होने में मदद करता है)
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|