Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (तीन /1)
फारस के एक शहर में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे . उनके पिता ने मरने से पहले दोनों भाइयो को बराबर सम्पति दे दी लेकिन कासिम ने अलीबाबा से सारी सम्पति हडप ली . कासिम ने एक बढ़िया दूकान और माकन खरीदकर एक विधवा औरत से शादी कर ली . कासिम अपनी सम्पति को ओर बढाता हुआ अमीर हो गया . दूसरी तरफ अलीबाबा पहले ही कासिम द्वारा सम्पति हडपने से गरीब हो गया था . उसने एक गरीब लड़की से शादी कर ली और बुरे दौर से गुजरने लगा . वो लकडिया काटकर उन्हें बेचता था जिससे उसका परिवार चलता था .
एक दिन वो लकडिया काटने जंगल में गया तभी उसको उसकी तरफ जोरो से धुल उडती हुई दिखी .उसको दूर से कुछ घोड़े उसकी ओर आते दिखाई दिए . हालांकि वहा पर लुटेरो का खतरा नही था फिर भी अलीबाबा ने खुद को बचाने के लिए एक पेड़ पर छुपकर बैठ गया . वो पेड़ पर ऐसी जगह बैठा जहा उसको कोई नही देख सकता था लेकिन वो सबको देख सकता था . वो पेड़ एक चट्टान के पास थी . तभी एक चट्टान के पास जाकर सारे घोड़े रुक गये . उसने देखा कि सभी घोड़ो पर आदमी हथियार लेकर बैठे थे और वहा पर आकर घोड़ो से उतर गये थे . अलीबाबा ने उन आदमियों को गिना तो वो कुल चालीस थे . वो सभी लुटेरे थे और उन सबके घोड़ो पर चोरी का सामान लदा हुआ था .
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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