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Originally Posted by arvind
आपके इस असमंजस की स्थिति मे कविवर सोम ठाकुर की कुछ पंक्तियाँ पेश करता हूँ -
अगर तुम कवि हो तो मेरा ये निवेदन सुन लो,
खोल कर कान जरा वक्त की धड़कन सुन लो।
तुम ना प्यार और शृंगार लिखो गीतो मे,
वक्त की मांग है अंगार लिखो गीतो मे।
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..................... thanks ..........................