Re: इधर-उधर से
फलों का राजा आम
मिर्ज़ा ग़ालिब और आमों की नस्लें
ग़ालिब आम के बहुत शौक़ीन थे. वे अपने मित्रों और परिचितों को लिखे पत्रों में भी आमों की नस्लों का ज़िक्र किया करते थे. ग़ालिब के ऐसे 63 पत्र मिले हैं जिनमे उन्होंने आमों और उनकी नस्लों का ज़िक्र किया है. आम की इन नस्लों में मालदा, फ़ज़ली, ज़र्द आलू, जहांगीर, दसहरी, रहमत-ए- ख़ास, सरौली, मालघोबा, अज़ीज़ पसंद, महमूद समर, सुलतान-उस-समर, रामकेला, बॉम्बे ग्रीन, रतोल, सफेदा, मलीहाबादी, दिलपसंद, हुसन आरा, नाज़ुक पसंद, किशन भोग, नीलम, खुदादाद, हेमलेट, तोतापुरी, निशाति, जाफ़रानी, सिंधूरी, खट्टा-मीठा, बारा मासी, लंडा, अल्फ़ान्सो, फजरी समर बहिश्त, गुलाब बक्श, बिशप ज़ेविअर, रूमानी और बादामी. ग़ालिब ने इन सभी प्रकार के आमों का रसास्वादन किया था. देखा जाये तो आम के प्रति उनका मोह शराब और शायरी से भी कहीं बढ़ कर था. और जून व जुलाई के महीनों में जब कि आमों की आमद होती थी तब मिर्ज़ा दीवानगी की हद तक उन्हें पाने और खाने के लिए उतावले रहते थे. आमों के प्रति मिर्ज़ा ग़ालिब की चाहत के कई किस्से मशहूर हुए.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 19-06-2015 at 12:20 PM.
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