Re: इधर-उधर से
नज़्म
अफज़ल अहमद सैयद
बाज़ लोगों को खुदा विरसे में मिलता है
बाज़ को तोहफे में
बाज़ अपनी मेहनत से उसे हासिल कर लेते हैं
बाज़ चुरा लाते हैं
बाज़ फ़र्ज़ कर लेते हैं
मैंने खुदा किश्तों में खरीदा था
किश्तों में खरीदे हुए खुदा उस वक़्त तक
दुआएं पूरी नहीं करते
जब तक सारी किश्तें अदा न हो जायें
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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