और आज की हमारी शख्सियत हैं (31 मार्च/March 31)
एफ़िल टावर / Eiffel Tower
अपने समय की एक अद्भुत वास्तुकला, एफ़िल टॉवर दुनिया का पहला ऐसा स्मारक था जिसे 1000 फ़ुट की प्रतीकात्मक ऊंचाई तक बनाया गया था. आज की तारीख में टॉवर की ऊँचाई 324 मीटर है, जो की पारंपरिक 81 मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है। यह तीन मंज़िला टॉवर पर्यटकों के लिए साल के 365 दिन खुली रहती है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीद कर देखी गई दुनिया की इमारतों में अव्वल स्थान पर आती है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एफ़िल टॉवर फ़्रांस की पहचान है।आजतक इस टावर में तकरीबन 26 करोड़ व्यक्ति इसमें प्रवेश कर चुके हैं।
31 मार्च 1889 वाले दिन, जब इस टॉवर को लोगों के आने जाने के लिये खोला गया, गुस्ताव एफ़िल जिनकी कंपनी ने इसका डिज़ाइन तैयार किया और इस टॉवर का निर्माण कराया था, कुछ सरकारी अधिकारियों और प्रेस के प्रतिनिधियों के समूह को साथ ले कर सीढ़ियों से चलते हुये टॉवर के शीर्ष तक पहुंचे क्योंकि उस समय तक लिफ्ट ने काम करना शुरू नहीं किया था. नीचे से चल कर टॉवर के शीर्ष तक पहुँचने में उन्हें एक घंटे से अधिक का समय लगा था.
मूल योजना के अनुसार एफ़िल टॉवर का निर्माण पेरिस में सन 1889 में आयोजित वैश्विक प्रदर्शनी के दौरान एक अस्थायी संरचना के तौर पर किया गया था. लेकिन इसके खूबसूरत डिज़ाइन और भव्यता के साथ साथ देखने वालों में इस संरचना की अपार लोकप्रियता के कारण प्रशासन द्वारा एफ़िल टॉवर को स्थायी रूप में मान्यता प्रदान कर सदा के लिये स्वीकार कर लिया गया.
इसके निर्माण में दो वर्ष, दो माह तथा पांच दिन का समय लगा. इस कार्य में गुस्ताव एफ़िल को लोहे के काम का तजुर्बा रखने वाले 300 कारीगरों का सहयोग लेना पड़ा. लोहे के भारी भरकम 18038 खंड-प्रखंडों से मिल कर बने हुये एफ़िल टॉवर नामक इस अजूबे का निर्माण हुआ. पूरी तरह लोहे से निर्मित टॉवर का कुल वजन लगभग 7715 टन है तथा लोहे के सभी खंडों को जोड़ने के लिये इसमें 25 लाख रिवटें (RIVETS) इस्तेमाल की गई.
भूमि पर एफ़िल टॉवर का कुल क्षेत्रफल करीब 220000 वर्ग मीटर (220 thousand square meter) है. लोहे को जंग से बचाये रखने के लिये पूरी टॉवर की सतह को हर दस वर्ष में एक बार अच्छी तरह से PAINT किया जाता है. इस कार्य के लिये हर बार लगभग 60 टन पेंट प्रयोग में लाया जाता है. टॉवर की ऊँचाई 300.5 मीटर तथा उसके ऊपर का एंटीना 20.3 मीटर ऊँचा है. सर्दी और गर्मी के मौसम में तापमान के अंतर की वजह से एफ़िल टॉवर की संरचना में 15 सेंटीमीटर तक संकुचन या फैलाव हो सकता है.
(यह जानकारी फ़ोरम के ही पुराने सूत्र से ली गयी है जिसे रजनीश मंगा ने तैयार किया था)