Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
पांच दीन के बाद ही एक बडे दुकानदार ने नवीन के पास से पुरे गुजरात की एजेन्सी मांग ली। अब नवीन को कुछ लोग रखने पड़े। अपनी मार्केटींग स्ट्रेटेजी अपनाते हुए वह एक महीने में बहुत आगे निकल आया।
वह सामने से सुदर्शन को जा टकराया। सुदर्शन अपने पचास हजार के ईन्वेस्टमेन्त को ले कर परेशान था। नवीन उसको कहा की पुलीस की रेड पडी थी और सारा माल पकडा गया। बहुत से पैसे दे कर पुरा झमेला सुलझाना पडा, जिसकी वजह से वह ईन दिनों दिखाई नहीं दिया।
सुदर्शन का मुंह बिगड गया। लेकन अपनी जेब से सत्तर हजार रुपये निकाल कर देते हुए नवीन ने कहा की यह तेरे पैसे और उसका सुत। ईस पर सुदर्शन बहुत खुश हो गया। आगे पुछने पर नवीन ने बताया की बाकी पैसों से उसने बिझनस स्टार्ट कर दिया है। जब सुदर्शन ने प्रकाश सोप सुना....तो वह चिल्लाया, "प्रकाश सोप? जिसके जींगल रात दीन रेडियो पर बजते रहते है, जिसके कई सेल्समेन पुरा दिन माल सप्लाय करते दिखाई देतें है, जिसने पुरे शहर में धुम मचा कर रखी है वह प्रकाश सोप तेरा है?"
उसी मुलाकात में सुदर्शनने एक लाख रुपए और निकाल कर कर्णाटक, पंजाब की एजेन्सी ले ली। उसने उस सत्तर हजार को छुआ भी नहीं!
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