Re: !! कुछ गजलें !!
प्यार की उम्र फकत हादसों से गुजरी है।
ओस है, जलते हुए पत्थरों से गुजरी है।।
दिन तो काटे हैं, तुझे भूलने की कोशिश में
शब मगर मेरी, तेरे ही खतों से गुजरी है।।
जिंदगी और खुदा का, हमने ही रक्खा है भरम
बात तो बारहा, वरना हदों से गुजरी है।।
कोई भी ढांक सका न, वफा का नंगा बदन
ये भिखारन तो हजारों घरों से गुजरी है।।
हादसों से जहां लम्हों के, जिस्म छिल जाएं
जिंदगी इतने तंग रास्तों से गुजरी है।।
ये सियासत है, भले घर की बहू-बेटी नहीं
ये तवायफ तो, कई बिस्तरों से गुजरी है।।
जब से ‘सूरज’ की धूप, दोपहर बनी मुझपे
मेरी परछाई, मुझसे फासलों से गुजरी है
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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