लोग ओफिसे से घर लौट रहे थे, कुछ सब्जी खरीद रहे थे, कहीं पर दोस्तो की जमात बैठी हुई थी, कहीं ट्यूशन क्लास से छुट कर स्कुली बच्चे स्कूटी भगा रहे थे। हर कहीं पर पैसा खर्च होता हुआ दिखाई दे रहा था। पान के गल्लों पर, पानीपुरी के ठेले पर, पेट्रोलपंप पर, दुकानों में....यहां तक की मंदिर के बाहर से मंदिर के अंदर तक हर कहीं यह पैसे नाम का कागज़ खर्च हो रहा था।