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पौराणिक नदी वरुणा भी नाले में तब्दील
वाराणसी। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी की पहचान असि नदी के पूरी तरह नाले में तब्दील होने के बाद अब पौराणिक नदी वरुणा भी नाले में बदलती जा रही है और शहर से दस किलोमीटर की दूरी पर तो वह लगभग सूख गई है। पूर्वांचल को हराभरा बनाने वाली गोमती, सई, पीली और गडई नदियों का भी यही हाल है। इनमें से कुछ नदियों से तो धूल उड़ रही है। वरुणा में भी अब केवल कीचड़ ही दिखाई दे रहा है जिसमें पानी नहीं के बराबर है। इलाहाबाद जिले की फूलपुर तहसील के मैलहन तालाब से निकलकर भदोही और जनपुर हाते हुए 162 किलोमीटर की यात्रा करके वरुणा वाराणसी पहुंचती है और बीच में वाराणसी में गंगा में मिल जाती है। वरुणा नदी का अस्तित्व संकट में पड़ने का मुख्य कारण सीवरों का इसमें गिरना है। इसके अलावा वरुणा के दोनों तटों पर अतिक्रमण करके बहुमंजिली इमारतें बना ली गई हैं। भदोही एवं आसपास के क्षेत्रों का कालीन का कचरा भी सीधे वरुणा में गिराया जा रहा है। वाराणसी में तो करीब एक दर्जन गन्दे नाले वरुणा में गिर रहे हैं। वरुणा में गन्दगी का आलम यह है कि उसके निकट से गुजरने वाले नाक पर कपड़ा लगा लेते हैं। आदमी तो दूर पशु-पक्षी भी इसके पानी को पी नहीं सकते। गंगा की दुर्दशा से सभी परिचित हैं और उसकी निर्मलता तथा अविरल प्रवाह के लिए आन्दोलन चल रहा है। कभी इन नदियों की बदौलत आबाद रहने वाली काशी अब पानी को तरस रही है। यही रफ्तार रही तो लोगों को निकट भविष्य में पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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