Re: तीस साल बाद
[QUOTE=rajnish manga;557322]'' यह भाव होता तो मैं क्यों आती तीस बरस बाद तुमसे मिलने! अच्छा इन तीस बरसों में तुमने मुझे कितनी बार याद किया? ''
सच तो यह था कि पिछले तीस बरसों में कपिल को सरोज की याद आई ही नहीं थी। अपने पत्र का उत्तर न पाकर कुछ दिन दारू के नशे में शायद मित्रों के संग गुनगुनाता रहा था, '' जब छोड दिया रिश्ता तेरी ज़ुल्फेस्याह का, अब सैकडों बल खाया करे, मेरी बला से।'' और देखर्ते-देखते इस प्रसंग के प्रति उदासीन हो गया था।
'' तुम्हारा सामान कहाँ है? '' कपिल ने अचानक चुप्पी तोडते हुए पूछा।
''बाहर टैक्सी में। सोचा था नहीं पहचानोगे, तो इसी से चंडीगढ लौट जाएंगे। ''
''आज दिल्ली में ही रूको। शाम को कमानी में मंजुला का कन्सर्ट है। आज तुम लोगों के बहाने मैं भी सुन लूंगा। दोपहर को पिकनिक का कार्यक्रम रखते हैं। सूरजकुंड चलेंगे और बहू को भी घुमा लाएंगे। फिर मुझे तुम्हारी आवाज में वह भी तो सुनना है, तुमसे आया न गया, हमसे बुलाया न गया याद है या भूल गयी हो ? ''
सरोज मुस्कुराई, ''कमबख्त याददाश्त ही तो कमजोर नहीं है।''
कपिल ने गोपाल से सरोज का सामान नीचे वाले बेडरूम में लगाने को कहा। बाहर कोयल कूक रही थी।
'' क्या कोयल भी अपने साथ लाई हो?''
''कोयल तो तुम्हारे ही पेड क़ी है।''
''यकीन मानो, मैंने तीस साल बाद यह कूक सुनी है।'' कपिल शर्मिन्दा होते हुए फलसफाना अंदाज में फुसफुसाया, '' यकीन नहीं होता, मैं वही कपिल हूँ जिससे तुम मिलने आई हो और मुद्दत से जानती हो। कुछ देर पहले तुमसे मिलकर लग रहा था वह कपिल कोई दूसरा था जिसने तुम्हें खत लिखा था... ''
''टेक इट ईज़ी मैन सरोज उठते हुए बोली, ज्यादा फिलॉसफी मत बघारो। यह बताओ टॉयलेट किधर है? ''
कोयल ने आसमान सिर पर उठा लिया था।
[size=3] [/s
बहुत अछि कहानी भाई .. बधाइयाँ ..
|