Re: गणेश पाइन---- मौत का चित्रकार
पाइन को अंधेरे या मौत का चित्रकार कहा जाता था। उनके चित्रों में मौत का अक्स उभरता है। उनके चित्रों में भी काले, नीले व पीले रंगों का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है। पाइन भी यह बात बेझिझक मानते थे। वे कहते थे कि वर्ष 1946 में विभाजन से पहले हुए दंगों के दौरान उन्होंने मौत को काफी करीब से देखा था। परिवार में अपने प्रियजनों के धीरे-धीरे बिछुड़ने का भी उन पर गहरा असर पड़ा। पाइन ने कहा था कि मौत का उनके मन पर इतना गहरा असर है कि उसका प्रतिबिंब उनके चित्रों पर भी उतर आता है। वे कहते थे कि मैं मौत के अंधेरे में जीवन की तलाश करता हूं।
कला जगत में प्रतिद्वंद्विता बढ़ने के बाद पाइन ने खुद को एक आवरण में समेट लिया था और बाद में जब उनकी पेंटिंग लाखों में बिकने लगीं, तब भी वे उस आवरण से बाहर नहीं निकले। पाइन का कहना था कि उनका काम करने का तरीका दूसरों से कुछ अलग है। इसलिए वे चुपचाप अपना काम करना पसंद करते हैं। पाइन को याद था कि उनकी पहली पेंटिंग एक अंग्रेज मेमसाब ने वर्ष1968 में दौ सौ रुपए में खरीदी थी। बाद में उनके चित्र तीन से नौ लाख तक में बिकने लगे थे।
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