Re: गणेश पाइन---- मौत का चित्रकार
उन्होंने अपने लंबे सफर के दौरान वाटर कलर से टेंपरा समेत कई माध्यमों पर प्रयोग किया। बाद में उनके ज्यादातर चित्र टेंपरा पर ही बने। कला की दुनिया में आए बदलावों का जिक्र करते हुए वे कहते थे कि अब कांसेप्चुअल आर्ट जैसी कई विधाएं सामने आई हैं। लेकिन मैं अपनी विधा को ही तरजीह देता हूं। किसी विवाद से बचने के लिए ही वे बार-बार कुरेदने पर भी कभी किसी एक समकालीन पेंटर का नाम नहीं लेते थे जो बढ़िया काम कर रहा हो। वे कहते थे कि पहले के कलाकारों को शुरुआती दौर में फी संघर्ष करना पड़ा है। पहले पैसा भी नहीं था इसमें। आगे चलकर कला में व्यापार का एक नया पहलू शामिल हो गया है। इससे कुछ कलाकारों के समक्ष जहां रोजी-रोटी के लिए दूसरा काम करने की मजबूरी नहीं है, वहीं इससे उनको नई कलाकृतियां बनाने का उत्साह भी मिला है। पाइन को आखिरी क्षणों तक संतुष्टि की तलाश थी। वे कहते थे कि किसी कलाकार की पहचान उस काम से होती है जो उसने पूरे जीवन में किया हो। उस लिहाज से मैं अब भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच सका हूं जहां पूरी संतुष्टि मिल जाए। यह तलाश व अंतर्मन की प्रेरणा ही मुझे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करती रहती है। लेकिन मौत के इस चित्रकार को संतुष्टि मिलने से पहले ही मौत ने अपने आगोश में ले लिया।
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