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Old 17-08-2013, 07:17 PM   #9
jai_bhardwaj
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Default Re: ये शाम और तुम ...

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Originally Posted by dr.shree vijay View Post
मित्र रजनीश जी ने इतने सुन्दर शब्दों में व्याख्या करदी की मेरे लिए शब्द ही नही बचे............................................... ....


ठीक है बन्धु, मैं रजनीश जी के शब्दों को ही आपके द्वारा प्रतिध्वनित मान लेता हूँ।

प्रेरक प्रतिक्रियाओं के हार्दिक अभिनन्दन बन्धु।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
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