Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
मित्र रजनीश जी ने इतने सुन्दर शब्दों में व्याख्या करदी की मेरे लिए शब्द ही नही बचे............................................... ....
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ठीक है बन्धु, मैं रजनीश जी के शब्दों को ही आपके द्वारा प्रतिध्वनित मान लेता हूँ।
प्रेरक प्रतिक्रियाओं के हार्दिक अभिनन्दन बन्धु।