“बेबस लड़की” :.........
मैं एक लड़की….
अपनी ही बात कहती हूँ
घडी-घडी, हर पग-पग पर
अपने को हीन समझती हूँ ।
है जिस दिन मैंने जनम लिया
न गीत बजी न शहनाई,
पर, नया संसार मिला
अपने और अनजानों का
खुशियाँ अपर मिला
फिर हंसती -खेलती हुई बड़ी
एक अल्हर-उम्र के सीमा पर हुई खड़ी
माँ कहती -ज्यादा हंसों नहीं
पापा कहते – ज्यादा खेलो नहीं
दादी कहती – पढ़-लिखकर तुम
कुछ नहीं कर सकते
कभी-कभी तो शिक्षक भी है
लड़कों को बड़े समझते।
राहों पर निकलूं तो
सबकी निगाहें घूरती ऐसे,
हमने कोई गुनाह किया जैसे।
पर गलती है क्या मेरी ?
ये मैं नहीं समझती हूँ।
घडी-घडी, हर पग-पग पर
अपने को हीन समझती हूँ ।
मैं एक लड़की….
अपनी ही बात कहती हूँ ।
रचनाकार :
— “Rakesh Kumar Ranjan”