Re: कुतुबनुमा
सपा सरकार के पीछे हटने से पैदा होता संदेह
उत्तर प्रदेश में पिछली बहुजन समाज पार्टी सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जांच के बाद लोकायुक्त की सिफारिश पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं होना वास्तव में संदेह पैदा करता है। लोगों को यह अंदेशा होने लगा है कि जिस सरकार से तंग आकर उन्होने समाजवादी पार्टी को सत्ता सौंपी थी, वह भी किसी प्रकार के कदम उठाने से क्यों हिचकिचा रही है। इसी आशंका के आधार पर राज्य कांग्रेस ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के कामकाज पर ही ऐतराज उठाया है, जो काफी हद तक वाजिब भी लगता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने हाल ही सवाल उठाया कि सपा सरकार मायावती के कार्यकाल के घोटाले की जांच के लिए एजेंसी का गठन कर रही है, लेकिन लोकायुक्त एन.के. मेहरोत्रा की सिफारिश पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि लोकायुक्त ने बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और रामवीर उपाध्याय के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच के आदेश दिए हैं। सरकार जांच का आदेश नहीं देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के अपने वादे से मुकर रही है। सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी यह वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आई, तो भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। आखिर क्या वजह है कि अब सत्ता का सुख भोग रही यह सरकार कोई कदम उठाने से हिचकिचा रही है और लोकायुक्त की सिफारिश के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है। हालांकि लोकायुक्त ने कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को कई बार पत्र भी लिखा है। मौजूदा सरकार जिस तरह से लोकायुक्त की सिफारिश को नजरअंदाज कर रही है, उस पर तो शक होना लाजिमी है ही, साथ ही ऐसा लगता है कि सरकार लोकायुक्त जैसी संस्था को कमजोर करने में लगी है। अभी समय ज्यादा गुजरा नहीं है। मौजूदा सपा सरकार को चाहिए कि वह राज्य के लोगों की भावनाओं का आदर करे, क्योंकि राज्य की जनता ने भ्रष्टाचार से परेशान होकर ही समाजवादी पार्टी को इस उम्मीद के साथ सत्ता सौंपी थी कि अब उसे स्वच्छ प्रशासन मिलेगा। यह तो तय है कि पिछली सरकार ने कई योजनाओं में जनता के धन की बर्बादी की थी, लेकिन अब उस भ्रष्टाचार को लोगों के सामने लाने का जिम्मा सपा का है और उसे यह जिम्मा उठाना ही चाहिए।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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