Re: कुरआन और विज्ञान |
सृष्टि का फैलाव
1925 ई0 में अमरीका के अंतरिक्ष वैज्ञानिक एडोन हबल adone hubble ने इस संदर्भ में एक प्रामाणिक खोज उपलब्ध कराया था कि सभी आकाशगंगा एक दूसरे से दूर हट रहे हैं अर्थात सृष्टि फैल रही है सृष्टि व्यापक हो रही है। यह एक वैज्ञानिक यथार्थ है इस बारे में पवित्र क़ुरआन में सृष्टि की संरचना के संदर्भ से अल्लाह फ़रमाता है:
‘‘आसमान को हम ने अपने ज़ोर से बनाया है और हम इसकी कुदरत: प्रभुत्व रखे है (या
इसे फैलाव दे रहे हैं) (अल-क़ुरआन: सूर: 51 आयत 47 )
अरबी शब्द वासिऊन का सही अनुवाद इसे फैला रहे हैं बनता है तो यह आयत सृष्टि के ऐसे निर्माण की ओर संकेत करती है जिसका फैलाव निरंतर जारी है ।
वर्तमान युग का प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिगं अपने शोधपत्र: समय का संक्षिप्त इतिहास: a brief history of time में लिखता हैः यह ‘‘खोज ! कि सृष्टि फैल रही है बीसवी सदी के महान बौद्धिक और चिंतन क्रांतियों में से एक है,, अब ध्यान दीजिये कि पवित्र क़ुरआन नें सृष्टि के फैलाव की कथा उसी समय बता दी थी जब मनुष्य ने दूरबीन तक का अविष्कार नहीं किया था। इसके बावजूद संदिग्ध विवेक रखने वाले कुछ लोग, यह कह सकते हैं कि पवित्र क़ुरआन में आंतरिक्ष यथार्थ का मौजूद होना आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि अरबवासी इस ज्ञान के प्रारम्भिक विशेषज्ञ थे।
अंतरिक्ष विज्ञान में अरबों के प्राधिकरण की सीमा तक तो उनका विचार ठीक है लेकिन इस बिंदु को समझने में वे नाकाम हो चुके हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान में अरबों के उत्थान से भी सदियों पहले ही पवित्र क़ुरआन का अवतरण हो चुका था इसके अतिरिक्त ऊपर वर्णित बहुत से वैज्ञानिक यथार्थ जैसे बिग बैंग से सृष्टि के प्रारम्भन आदि की जानकारी से तो अरब उस समय भी अनभिज्ञ ही थे जब वह विज्ञान और तकनीक के विकास और उन्नति की सर्वोत्तम ऊंचाई पर थे अत: पवित्र क़ुरआन में वर्णित वैज्ञानिक यथार्थ को अरबवासियों की विशेषज्ञता नहीं मान जा सकता। दरअस्ल इसके प्रतिकूल सच्चाई यह है कि अरबों ने अंतरिक्ष विज्ञान में इसलिये उन्नति की क्योंकि अंतरिक्ष और सृष्टि के निर्माण विषयक जानकारियां पवित्र क़ुरआन में आसानी से उप्लब्ध हो गए थे। इस विषय को पवित्र क़ुरआन में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है
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