सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
सुरैया की नानी बनी विलेन
1950 में दोनों ने सनम और जीत साइन की। सुरैया के साथ शूटिंग पर उनकी नानी भी जाने लगीं। तब दोनों के बीच रोमांटिक सीन को लेकर भी वे नाराज होती थीं। जून 1972 में स्टारडस्ट के साथ बातचीत में सुरैया ने कहा था- नानी सख्त थीं। घर में सभी उनकी ही बात मानते थे। मैं शर्मीली थी, नादान थी और ज्यादा डरती थी। वो मुझसे गुस्से में कहती थीं- एक मुस्लिम लड़की और एक हिंदू लड़के की शादी कैसे हो सकती है? जब सुरैया और देव के मिलने-जुलने पर रोक लगा दी गई तब दोनों ने खतों के जरिए बात शुरू कर दी। लव लेटर्स देव आनंद के दोस्त पहुंचाते थे। इसमें एक्ट्रेस कामिनी कौशल खास भूमिका निभाती थीं। दोनों खतों में एक-दूसरे को स्टीव और नोजी के नाम से ही संबोधित करते थे।
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हर प्यार की कहानी में एक विलेन होता है, लेकिन यहां तो वैंप थी। और वह वैंप थी सुरैया की नानी। उनको देव आनंद एकदम अच्छे नहीं लगते थे। वे इस बात को पचा नहीं पाईं कि एक हिंदू लड़के से मुस्लिम लड़की की शादी कैसे हो सकती है। देवानंद ने हर मुमकिन कोशिश की कि दोनों की शादी हो जाए। पर, आखिरी हिम्मत सुरैया नहीं जुटा सकीं। इसका खामियाजा भी खुद सुरैया को ही भुगतना पड़ा। उन्होंने ताउम्र शादी नहीं की।