अनिल भाई, मुन्नाभाई के बारे मे आपने ही सब कुछ लिख दिया जो हम लिखना चाहते है....फिर भी एक दो बात तो लिखनी ही पड़ेगी....फिजूल मे मै नौरंगे का शिकार क्यूँ बनू ????....
जीवन मे उम्र के साथ साथ बहुत धुप छाँव भी देखि है इस लिये....थोडा सख्त दिखते है लेकिन मृदु स्वाभाव के इंसान है...हाँ थोड़े जिद्दी जरुर है...लेकिन जिसे हम जिद कहते है वो शायद इनके लिये सही कदम हो सकता है क्युंकी उनको जीवन की सत्यता का सटीक अनुभव है....
बहुत सारे विषयो / हुन्नर मे महारत है....
कमजोर पक्ष
खुद नौरंगा चलाने मे महारथी है लेकिन भाभीजी के बेलन के सामने घुटने टेक देते है...
Last edited by aksh; 13-11-2010 at 08:45 AM.
|