Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
हास्य विनोद सआदत हसन मंटो के साथ
एक दिन मंटो साहब बड़ी तेजी से रेडियो-स्टेशन की इमारत में दाखिल हो रहे थे कि वहां बरामदे में मडगार्ड के बिना एक साइकिल देख कर क्षणभर के लिए रूक गए और फिर दूसरे ही क्षण उन्हें कुछ शरारत सूझी और वह चीख चीख कर पुकारने लगे,
“राशद साहब ! जनाब राशद साहब ! ज़रा जल्दी से बाहर तशरीफ़ लाइए !”
शोर सुन कर नज़र मो. राशिद के अलावा कृशन चंदर, उपेन्द्रनाथ अश्क और रेडियो स्टेशन के अन्य कर्मचारी भी उनके सामने आ खड़े हुए.
“राशद साहब ! आप देख रहे हैं इसे !” मंटो ने इशारा करते हुए कहा,
“यह बिना मडगार्ड की साइकिल ! खुदा की कसम यह साइकिल नहीं, बल्कि हकीकत मैं आपकी कोई नज़्म मालूम पड़ती है.”
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