Quote:
Originally Posted by balamrasia
भारतीय नेताओं ने तमिल भाषाई कट्टर पंथियों के सामने घुटने टेक दिए और अंग्रेजी से हिंदी हार गई.
|
ऐसा बिलकुल भी नहीं है, हिंदी उन शक्तियों में से है जो भारत को जोड़े हुई है. चेन्नई में आखिरी १० साल में करीब 3 लाख से भी ज्यादा हिंदी बोलने वाले सॉफ्टवेर इंजिनियर बस गए हैं. इसके कारण चेन्नई में भी हिंदी बोलने वालो की कमी नहीं है.
मैं करीब ५ साल से बंगलोर में हूँ, और हर जगह हिंदी से काम चल जाता है. हिंदी आज देश के कोंनेक्टिंग भाषा हो गयी है.
पिछले ६५ साल में हर प्रधान मंत्री ने १५ अगस्त को लाल किले पर हिंदी में भाषण दिया है चाहे वो कन्नड़ बोलने वाले देव गौड़ा हो या तेलगु बोलने वाले नरसिंह राव.
अंग्रेजी की अपनी जगह बन गयी है भूमंडलीकरण के कारण. पर अंग्रेजी की अपनी लिमिट है वो कभी ही हिंदी का मुकाबला नहीं कर सकती.