23-11-2010, 04:39 AM
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#11
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
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Originally Posted by amit_tiwari
मुझे व्यक्तिगत रूप से आज के भारत का नागरिक होने पर कोई गर्व नहीं है और ना ही इसका कोई कारण समझ आता है |
निशांत भाई की कही बात को ही और आगे बढ़ाते हुए मैं यही कहूँगा कि आज जब बाकि सारे देश अपनी सफलता का ओर्केस्ट्रा बजा रहे हैं तब हम मात्र भूतकाल की पिपहरी फूंक रहे हैं |
निकम्मा नेतृत्व कफ़न चुरा के पैसे कम रहा है, प्रशासन से जुड़े लोग फ़्लैट में घोटाला कर रहे हैं, धार्मिक वर्ग राजनीति करके इच्छापूर्ति कर रहे हैं, युवा अपनी संकृति का klpd करके क्या क्या कर रहे हैं ये किसी को बताने की जरुरत नहीं है और हर बात पर निरूपा राय की तरह रोने वाला आम नागरिक वर्ग हर छोटे से छोटे मौके का फायदा उठा कर जुगाड़ बना रहा है |
जो लोग चौराहे में सिपाही के पांच रुपये लेने पर भागीरथ बन जाते हैं वही बीएड में अपने बेटे को एडमिशन दिलाने के एक-डेढ़ लाख आराम से देने को तैयार हैं | शायद देश के बाकी हिस्सों के लोग परिचित ना हों किन्तु इस समय यूपी में बीएड भर्ती के नाम पर जो घोटाला गबन खुले आम आम जनता द्वारा किया जा रहा है वो बोफोर्स या तेलगी मामले को बौना बना दे | ५-५ साल के तीन बच्चों वाले स्कुल के नाम पर ५ बीएड मास्टर २१ हजार की तनख्वाह उड़ा रहे हैं | कोई इस घोटाले की कीमत आंके तो सही, शायद गिनती ख़त्म हो जाये |
देश में व्यापर बढ़ रहा है,,,,, किसका? मोबाइल का? टीवी का? सबसे सस्ती कही जाने वाली दाल रोटी भी आज लोग सहन नहीं कर सकते और सरकार प्रचार करा रही है की पीली मटर दाल खाओ | ऐसे देश का नागरिक होने पर क्या गर्व करूँ |
देश के लोग बाहर जा कर नाम कमा रहे हैं !!! हाँ ये सच है, जो कुछ काबिल लोग यहाँ कुछ भी करने में असमर्थ थे वो बाहर अवसर मिलते ही प्रतिस्पर्धा को जीत लेते हैं! ये उनकी म्हणत और काबिलियत है किन्तु इस देश में रहते हुए किसी घाट नहीं लगते | सबसे अधिक क्षमता होते हुए भी भारतीय सबसे कम वेतन पर बाहर नौकरी पते हैं ( यूरोपीय समकक्षों की तुलना में ) हर साल नस्ली भेदभाव झेलते हैं, मार खाते हैं | इसलिए नहीं की हम उतने गोरे नहीं हैं, इसलिए क्यूंकि हम गरीब देश से आते हैं |
घाट से याद आया पतितपावनी को साफ़ करने के नाम पर कितने करोड़ फूंके ये किसी को याद आया? क्या गंगा साफ़ हुई? क्या सिर्फ नेताओं ने इसमें पैसा खाया? गंगा को मैया कहते हैं और उसी मैया के नाम का पैसा खा गए ऐसी है हमारी तात्कालिक सभ्यता !!!
मुझे शर्म आती है ऐसे तात्कालिक भारत पर !!!
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मित्र जिस देश के हवा से आपकी सांस चल रही है, जिस देश की मिट्टी से आपको अनाज का दाना मिल रहा है....उसी सरजमीन के नागरिक होने का आपको कोई फक्र या नाज नहीं है ??????.....तो फिर छोड क्यूँ नहीं देते ऐसे देश को...
हिन्दुस्तान की मिट्टी हम सब की माँ है और आपको उसी माँ का बेटा कहेलाने मे शर्म आती है ???....शर्म तो माँ को आयेगी ,बेटा कहकर बुलानेमे....
हिंदुस्तान की आज जो भी हालत है इसके लिये हम सब जिम्मेदार है...लेकिन हमारी हालत के लिये भारत जिम्मेदार नहीं है....हम सब खुद हमारी हालत के लिये जिम्मेदार है.....
यह नेता ,गुंडे-बदमास,हिपोक्रेट्स,जातिवाद ,नाफखोरी ,संग्रहखोरी ,लांचरुस्वत/भ्रष्टाचार.....हम लोग या इंसान की ही देन है...जब तक ऐसे गैर कानूनी कार्य से हमारा नुकशान नहीं है तब तक कोई तकलीफ या खराबी नहीं है लेकिन इससे हमें जरा सी भी खरोच आती है तो पूरी सिस्टम मे खराबी दिखती है.
अगर सरकार मे कोई खराबी है तो सरकार को गाली दो या उस सरकार को मार भगाओ...अगर नफ़रत करनी है तो उनसे कीजिये जो देश की इस हालत के जिम्मेदार है....
लेकिन यह करना हम मे से किसी के लिये भी मुमकिन नहीं होगा क्युंकी जब अपना खुद का काम होगा तो जल्दी करवाने के लिये हम ही कीसी आला अधिकारी को लांच देते है....कोई चीज सस्ती चाहिये या मिलेगी तो चोरी या स्मगलिंग का माल लेने से पीछे नहीं हटेंगे....बिजली की चोरी, टेक्स की चोरी भी तो हम ही करते है तो सरकार पीछे क्यूँ हटेगी....???????..........
परदेश मे भी ऐसे सभी गलत कार्य होते है जो भारत मे होते है.....लेकिन वहाँ का नागरिक जागरूक है...अपने हक्क के लिये अकेला ही लड़ने को तैयार होता है और....क्या हम ऐसा करते है ??? क्यूँ नहीं करते ???
परदेश की बाते सभी को अच्छी लगती है...जैसे की पडोशी की बीवी चाहे वैश्या क्यूँ ना हो लेकिन वो अप्सरा जैसी दिखती है...लेकिन पहले अच्छी दिखने वाली खुद की पवित्र और आदर्श पत्नी खराब दिखती है क्युंकी उसके चहेरे पर जलने के दाग है....उसका चहेरा क्यूँ ???कैसे ???किसने ???कब ??? जला वो कोई नहीं पूछता....
कठोर भाषा के प्रयोग के लिये माफ़ी चाहता हूँ ....लेकिन मै मेरी मिट्टी मेरी माँ के खिलाफ कोई भी गलत बात नहीं सुन सकता...
Last edited by sam_shp; 23-11-2010 at 04:47 AM.
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