Re: कुतुबनुमा
बच्चों के भविष्य से न हो खिलवाड़
कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में सरकारी अनदेखी व कोताही का असर राज्य के बस्तर अंचल के आदिवासी बच्चों पर ऐसा पड़ रहा है कि वे चाहते हुए भी स्कूल जाने से कतराते हैं और अगर चले भी जाते हैं तो उन्हें पुलिस और नक्सलियों के बीच संघर्ष के चलते नतीजों को भुगतना पड़ता है, जिसके कारण उनकी पढ़ाई ही चौपट हुए जा रही है। हाल ही यह जानकारी सार्वजनिक हुई कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में एक ओर पुलिस स्कूली छात्रों को नक्सलियों का मुखबिर बता रही है, वहीं दूसरी ओर नक्सली इन्ही छात्रों को पुलिस का मुखबिर बता रहे हैं। इन शंकाओं के चलते छात्रों की पढाई पर व्यापक असर पड़ रहा है। पुलिस की तरफ से आधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि नक्सली छात्रों की आड़ लेकर हिंसा की घटनाएं करते हैं। नक्सली संगठनों ने पुलिस की गोपनीय सूचना एकत्र करने और उन पर निगरानी के लिए बाल संगम का गठन किया है। बाल संगम के सदस्य पुलिस की आवाजाही और उसके क्रियाकलापों पर निगरानी रखकर उसकी सूचना नक्सली आकाओं को देते हैं। कुछ छात्रों को तो हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। ऐसे छात्र स्कूली गणवेश में भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाकर हिंसा की घटनाओ को अंजाम भी देते हैं। हाल में कुछेक ऐसी घटनाएं होने के कारण पुलिस इन छात्रों को नक्सलियों का मुखबिर मान चुकी है। उधर, दूसरी तरफ नक्सली नेता छात्रों पर पुलिस का मुखबिर होने की शंका कर रहे हैं। इसके चलते हाल ही में नारायणपुर के राष्ट्रीय स्तर के एक खिलाड़ी पाकलू का अपहरण किया गया था। पाकलू नक्सलियों के चंगुल से तो भाग निकला, लेकिन आज वह उनकी हिटलिस्ट में है। इस घटना के अलावा एक गांव में 12वीं के छात्र की पुलिस मुखबिर होने की शंका में हत्या कर दी गई। ये घटनाएं साबित करती हैं कि राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में बढ़ रही समस्याओं पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही। माना नक्सल हिंसा व्यापक रूप ले चुकी है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि इससे प्रभावित हो रहे स्कूली बच्चों को भी दयनीय हालत में छोड़ दिया जाए और वे पढ़ाई जैसे मूलभूत अधिकार से ही वंचित होने लग जाएं। सरकार को इस ज्वलंत मुद्दे पर गौर करना चाहिए। साथ ही एक अपील नक्सलियों से यह कि कोई भी 'वाद' या 'विचारधारा' इतनी निकृष्ट नहीं हो सकती कि अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए मासूम बच्चों को निशाना बनाने की इजाज़त दे। उन्हें चाहिए कि यदि वे अपने उद्देश्य को पवित्र साबित करना चाहते हैं, तो उन्हें बच्चों को निर्भय करना ही होगा, अन्यथा सामान्य डकैतों और उनमें अंतर ही क्या और किसे नज़र आएगा ?
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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