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:
माया
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21-10-2012, 11:37 AM
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anilkriti
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माया
माया
आँख मिचौली अब मत खेलो
अब मैं तुमको जान गया हूँ
तुम दुनिया को चकमा देती
मैं तुमको पहचान गया हूँ
कभी इधर तो कभी उधर
नहीं तुम्हारा कोई ठिकाना
सब हैं तेरे पीछे पागल
तुमने किसको अपना जाना
धर के रूप रंग अनेक
कर देती कैसा पागल
सुध बुध खो देते सब
हो जाते बेचारे घायल
कैसा रचा अनोखा तुमने
लालच का षड्यंत्र
बिरले योगी हैं ऐसे
जो साधे तेरा मंत्र ...
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