Re: यादें फोरम की.
वर्तमान में सभी फोरम के लगभग सभी ( लगभग शत प्रतिशत ) सदस्य निजी जिन्दगी में पता नहीं कितनी बुराइयों से ग्रसित होंगे...तो क्या हम उनसे घृणा करने लगें...?? ये व्यवहार मुझे उचित नहीं लगता कि हम केवल उन्ही सदस्यों को प्रताड़ित करें जिनके बारें में सभी को पता है कि ये कहाँ कहाँ जाते हैं...क्योंकि वो खुले आम जाते हैं...पर उनका क्या जो दुसरे नामों से जाते हैं...पर जाते अवश्य हैं...??
एक टेलीफोन कंपनी अपने प्रीपेड ग्राहकों को १५ दिनों में री-चार्ज ना करने पर उनका बेलेंस हड़प कर जाती है....और कहती है कि ये कंपनी की पालिसी है और सही है क्योंकि ये दंड सभी पर एक समान रूप से लागू होता है...
देखने में ये ऐसा लगता है कि कंपनी क्योंकि सभी ग्राहकों का बेलेंस हड़प कर लेती है तो ये पालिसी सभी ग्राहकों पर समान रूप से लागू होती है...पर हकीकत में ऐसा नहीं है...
क्योंकि कंपनी केवल उन्ही ग्राहकों का बेलेंस हड़प कर पाती है जिनके एकाउंट में बेलेंस होता है और उन ग्राहकों को ये दंड ज्यादा लगता है जिनके खाते में ज्यादा बेलेंस होता है और उन ग्राहकों को ये दंड कम लगता है जिनके खाते में कम बेलेंस होता है और उन ग्राहकों को कंपनी दण्डित नहीं कर पाती जिनके खाते में कोई बेलेंस ही नहीं होता....
मान लीजिये एक ग्राहक के प्री-पैड एकाउंट में दस हजार रूपये का बेलेंस था और दुसरे के खाते में एक हजार रूपये का बेलेंस था, और तीसरे के खाते में सिफ सौ रूपये बेलेंस था, और एक अन्य चौथे ग्राहक के खाते में शून्य बेलेंस था...जब इन चारों ग्राहकों ने एक ही नियम भंग किया कि समय पर री-चार्ज नहीं करवाया तो कम्पनी ने वास्तव में सभी को अलग अलग दंड दिया....
यही हाल हम फोरम पर उन सदस्यों का करते हैं जिनके बारे में हमें पता है कि वो अमुक अमुक साईट पर जाते हैं....पर हम उन सदस्यों को कुछ नहीं कर पाते जो उन साइटों पर दूसरी दूसरी आई डी से जाते हैं या फिर बिना लोग इन किये जाते हैं...हमें इस रवैये से ऐतराज है कि जो सदस्य अपनी पहचान नहीं छिपा रहा है दंड केवल वही पा रहा है...अन्य सभी आपकी कृपा के पात्र बने हुए यहाँ पर लाठियां भांज रहे हैं....
मेरा विनम्र निवेदन यही है कि ऐसे व्यवहार करना ही उचित नहीं है क्योंकि ये समान व्यवहार नहीं है.
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Last edited by aksh; 04-10-2012 at 11:35 PM.
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