Re: उपन्यास: जीना मरना साथ साथ
फिर कुछ देर में साधु बेशधारी, लंबी दाढ़ी, गेरूआ वस्त्र पहले लंबा चौड़ा सा एक आदमी आया। उसे सब बाबा बाबा कहकर बुलाने लगे और कुछ के चेहरे पर उसे देखते हुए वितृष्णा और भय का मिलाजुला भाव भी आने लगा। मेरे पास आकर उसने कहा-
‘‘चल रे बउआ निकाल कमानी।’’
‘‘क्या’’?
‘‘कमानी, माने तीन सौ रूपया जेल में रहे के टेक्स।’’
इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता बगल में लेटा हुआ एक मोटा सा एक आदमी ने कहा-
‘‘कमानी के रूपया देबे पड़तो बौआ, यहां इनकरे सब के कानून चलो है। बाहर भी बभने सब के राज है यहां भी ? नै कमानी देभो त यहां पैखाना घर के आगे सुता देतो और खाना बनाना, झाडू लगाना सब काम करे पड़तो’’
‘‘पर हमरा हीं रूपैया है कहां? कोई उपाय भी नै है।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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