Re: आदमी - गधा..कुत्ता और उल्लू
बङे होते बच्चों की परवरिश और तमाम जिम्मेदारी उठाते हुये भी वो सबके ताने उलाहनों रूपी कोङों की मार झेलने लगा ।
खैर..साहब इस तरह बोझा ढोते ढोते उसने 60 को पार कर लिया । तब कुत्ते की आयु शुरू हो गयी । अब उसमें जिम्मेदारियों का बोझा उठाने की शक्ति नहीं रही थी । वह अपने बच्चों को कुछ जिम्मेदारी संभालने को कहता । बीबी से उन्हें सही सीख देने को कहता । तो उसके बीबी बच्चे उसकी बात को कुत्ते की भ ऊँ भौं भ ऊँ भौं से अधिक महत्व नहीं देते ।
किसी तरह आदमी ने रो धोकर 80 तक कुत्ते की आयु पूरी की । लेकिन 80 पार होते ही उल्लू की आयु शुरू हो गयी । और आदमी की टोटल इज्जत वैल्यू उल्लू जी की रह गयी । बच्चे कहते - खुद तो जीवन में कुछ कर नहीं पाया बुढ्ढा । और हमें अक्ल बताता रहता है etc .
बीबी के भी ऐसे ही ख्यालात थे - समझते तो बहुत अक्लमन्द थे अपने आपको । पर दो पैसे की अक्ल नहीं । उल्लू कहीं के ।
अब बेचारा पङा पङा सुनता रहता । इसके अलावा और चारा भी क्या था ?
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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