Re: फटकार
'और वह रोती रही' लघुकथा का लेखक बड़ा सौभाग्यशाली है जिसकी कहानी के प्रभाव (या उसकी कमी) के चलते रजत जी ने इतनी भरी भरकम समीक्षा लिखने का मन बनाया. जिन सज्जनों ने वह कहानी नहीं पढ़ी, उन्हें निराश होने की जरुरत नहीं है. उन्हें यह सोच कर क्षुब्ध नहीं होना चाहिए कि हाय हसन हम न हुये. वे इसकी समीक्षा नहीं लिख पाये. यह समीक्षात्मक आलेख उन्हें निराशा से बाहर लाने का काम करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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