Re: फटकार
क्या था हमारी संक्षिप्त टिप्पणी में? नीचे पढ़िए-
"बहुत खूब, कमालजी। गजब की लेखनी है आपकी। 21 शताब्दि में मानवता के समस्त मानदण्डों की धज्जियाँ उड़ाती हुई आपकी रचना का समापन (denouement) लिखते समय आपने नायिका के अहंकार की चरमसीमा को मात्र लज्जा बताकर और रोना-धोना दिखाकर कहानी की नायिका के लिए आडियन्स सिम्पैथी बटोरने की कोशिश एकदम असफल सिद्ध हुई है। आज का पढ़ने वाला पाठक बेवकूफ नहीं है जो आपके असफल प्रयास को अपने गले से नीचे उतारकर आसानी से हजम कर जाएगा और कहानी की वाहवाही करेगा। आपकी कहानी पढ़कर तो मूड खराब हो गया। अब एफ०बी० पर जाकर शायरी की तोप शिखा जी की दो-तीन शायरी पढ़नी पड़ेगी, तब जाकर मूड ठीक होगा। और यह सब हुआ अपने ही दोस्त चुलबुली जी की पूँछ पकड़कर उनकी एक टिप्पणी पढ़ने की वजह से!!! गर्रर्र.. गर्रर्र..."
Last edited by Rajat Vynar; 19-08-2015 at 01:25 PM.
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