Re: भाभी जी घर पर है .
इस एपिसोड में फूल वाली अंगूरी भाभी के घर के सामने कड़ी दिखाई जाती है, अंगूरी भाभी उससे कुछ फूल ले रही है और बाते कर रही है, उधर विभूति जी चुपके से अपने घर में मलखान के आने का इंतजार कर रहे है की कब वह आए और भाभी जी के सामने फूल वाली को छेड़े ताकि वह उसे पीट कर भाभी जी पर रॉब जमा सके. फूल वाली भाभी जी को बताती है की उसका अपने गाव के किसी लड़के से मन लग गया है और उसकी सगाई भी हो गई है. जल्दी ही वह शादी भी करेगी. इतने में हेलमेट पहने एक आदमी मोटर बीके पर फूल वाली के पास आके खड़ा हो जाता है. विभूति जी आव देखते है न ताव और हेलमेट वाले आदमी की सुताई चालू कर देते है, संजोग से वह तो फूल वाली का मंगेतर निकलता है. बस फिर फूल वाली खुद एक नंबर की फूलन देवी वह विभूति जी की जो सूती करती है की बस. विभूति जी पिटते हुए पूछते रहते है की क्यों मार रही हो मुझे मैंने क्या किया मई तो एक अबला की रक्षा कर रहा था . फूल वाली बताती है की हेलमेट वाला आदमी दरअसल उसका मंगेतर है, विभुइति जी सॉरी सूरी कहते चले जाते है. उधर फूल वाली भी हेलमेट वाले आदमी संग चली जाती है. अफ़सोस की मलखान इसके बाद पहुचता है और विभूति से पूछता है की क्या करू बताओ तो किसे छेड़ना है यहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रही. विभूति जी अब उसे सुटते है और फिर बाइक पे बैठ के आगे तक छोड़ देने को कहते है .
उधर तिवारी जी अलग स्कीम से अनीता भाभी को पटाने में लगे है उन्होंने सक्सेना को तैयार किया है इसके लिए पैसे देके, सक्सेना बुजुर्ग का भेष बनके आता है और तिवारी की खूब तारीफ करने लगता है. अनीता भाभी अपने दरवाजे से कड़ी देख रही है . सक्सेना कहता है की तिवारी देवता है और कैसे उन्होंने अपनी दोनों किडनी उनके नाम कर दी है. भाभी जी अचंभित होती है और कहती है की ये कैसे हो सकता है दोनों किडनी के बिना तिवारी जिन्दा कैसे रह सकते है. तिवारी झेंप जाते है और बहाना बना के कहते है की अभी दी नहीं है पर नाम करदी है उनके मरने के बाद इन बुजुर्ग को मिल जाएंगी . अनीता भाभी नाराज ही जाती है कहती की कितनी अजीब बात है तिवारी जी आपसे ये उम्मीद नहीं थी, इन बुजुर्गवार को आपने उम्मीद दिला के लटका दिया, आपके मरने तक ये जिन्दा भी रहेंगे. और वे नाराज़ होके चली जाती है . तिवारी की स्कीम भी फ़ैल. सक्सेना तो पागल है लगता है तिवारी से दोनों किडनी अभी मांगने और एक झापड़ खाके आई लाइक इट बोलके चला जाता है.
उधर विभूति जी भी अपनी मर्यादा झड़ने और अंगो को दान देने के लिए डॉक्टर को बुलाते है, मरणोपरांत वे भी अपने सारे अंग दान करके राम बनना चाहते है. डॉक्टर कहता है की इत्ती सी बात तो फ़ोन पर भी कर सकता था मुझे बुलाने की क्या जरूरत थी और चला जाता है. अब देखते है अगले एपिसोड में इन दोनों की ये राम बन्ने की कोशिश कहा तक कामयाब होती है .
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