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Originally Posted by rafik
गुण वो जो हमारे अन्दर मौजूद हो ,और उन गुणों को उजागर करना एक कला होती है इस प्रकार गुण-कला एक सिक्के के दो पहलू है
जेसे=> पेट्रोल के बिना गाड़ी नहीं चलती है वेसे ही गुण बिन कला ,कला बिन गुण,नहीं चल सकते !
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आपने बहुत सही कहा की गुणों को उजागर करना भी एक कला है। और मैं ये भी मानती हूँ कि कला में महारत हासिल कर हम उसको ही अपना एक गुण बना सकते हैं। पर आजकल लोग ये कहते हुए मिलते हैं कि वह व्यक्ति बड़ा गुणवान है , क्या अच्छा खाना बनाता है। तब मेरे मैं में एक विचार आता है कि क्या वास्तव में इसको गुण कहा जाये या कहें कि वह व्यक्ति पाक कला में निपुण है। लोग गुण और कला को लेकर कंफ्यूज हैं ???