Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक
रामधन की आँखों के आगे अँधेरा छा गया. आसपास की झुग्गियों के कुछ लोग उसके पास आ कर उसे ढाढस बंधा रहे थे. कोई नीति की बातें समझा रहा था, कोई जीवन की कटुता का दुखड़ा सुना रहा था. यह सब देख कर छोटा किशन कुछ न समझ कर रोने लगा.
संध्या होते होते लक्ष्मी ने प्राण त्याग दिये. रामधन पर जैसे दुखों का पहाड़ गिर पड़ा था. वह गुम सुम हो कर बैठ गया. लक्ष्मी के निर्जीव मुख को ऐसे देखता रहा जैसे अभी वह पुकार उठेगी –
“किशन के बापू!! आज फिर तुमने खाना नहीं खाया, क्यों?”
उसको लक्ष्मी जैसे कह रही थी, “किशन को माँ का प्यार भी देना ... कभी ..अलग न ... करना ..कलेजे से...तुम....सुन...रहे...हो ...न...!”
सोचते सोचते रामधन फूट फूट कर रोने लगा. उधर किशन जो अभी तक सब कुछ देख कर सुबक रहा था, अपने पिता का रोना सुन कर बड़े जोर से रोने लगा. उस रुदन सुन कर सभी उपस्थित व्यक्तियों की आँखें छलछला आयीं.सभी लोग रामधन व बालक को धीरज बंधाने में व्यस्त थे.
चिता में आग देने के बाद रामधन किशन के साथ घर वापिस आ गया. उसका कहीं मन न लग रहा था. लक्ष्मी के बिना उसकी झुग्गी का अँधेरा और घना हो गया था. घुटन बढ़ कर उसके मन मस्तिष्क पर छा गई थी. लक्ष्मी के बिना उसे अपना जीवन ही निस्सार लग रहा था. पिछले सात वर्षों की झांकियां एक के बाद एक याद आने लगीं. किशन भी आज चौकड़ी न भर रहा था, एक दम चुप बैठा था. माँ के बिना उसे बड़ा अजीब अजीब लग रहा था. थोड़ी- थोड़ी देर बाद रामधन उसे अपने सीने से लगा लेता और किशन फिर - फिर व्याकुल हो कर रोना शुरू कर देता.
शाम तक जो पड़ौसी और रिश्तेदार आते रहे थे वो धीरे धीरे उठने लग पड़े थे. दो तीन रिश्तेदार रह गए जो उसको सांत्वना दिए जा रहे थे और बीच बीच में देवी देवताओं और भक्तों की कथाएं सुना रहे थे. किशन रोते रोते सो गया था. कुछ देर बाद उसके रिश्तेदार भी सो गए. जागता रह गया केवल रामधन और उसका एकांत. लालटेन की लौ को अपलक देखते हुए घंटों वह भूत और भविष्य के विचारों में डूबा रहा. उसकी झुग्गी के निकट ही जब एक कुत्ता जोर जोर से हूकने लगा तो वह अपने वर्तमान में लौट आया. बेटे के बारे में सोचने लगा. लक्ष्मी की वही तो एक निशानी थी – किशन. उसकी दृष्टि अबोध बेटे के भोले मुख पर पड़ी और वह ममत्व से भर उठा. उसे लक्ष्मी का कहा याद हो आया. आख़िरी दिन तक मैं तुझे अपने सेने से लगाए रखूंगा, किशन, मेरे बेटे. तेरी माँ कह गई है. उसकी आत्मा को कभी क्लेश न पहुँचने दूंगा – कभी नहीं.
(क्रमशः)
Last edited by rajnish manga; 21-02-2013 at 09:23 PM.
|