Re: एक और 'दामिनी' सीकर (राजस्थान) से
चांदनी ने सुबुकते हुए आगे बताया, "जब अगले दिन हम इलाकाई लोगों और नज़दीकी स्कूल की एक टीचर सरोज को साथ लेकर फिर से थाने के सामने जाकर धरना प्रदर्शन करने लगे तब जाकर पुलिस ने हमारी ऍफ़ आई आर दर्ज की और उसी दिन अपरान्ह चार बजे अधमरी हालत में मेरी बहन को हाइवे के किनारे से बरामद कर लिया। यदि पुलिस समय पर कार्यवाही करती तो निश्चित ही मेरी बहन आज सुरक्षित दशा में होती।"
"सरोज पहले हमें सपोर्ट कर रही थी और हमारी ऍफ़ आई आर दर्ज कराने में सहायता भी की थी। किन्तु जब बाद में उन्हें पता चला कि अभियुक्त उनकी जात बिरादरी से हैं तो वह हमारा साथ छोड़ गयी और उलटे हमें केस रफा दफा करने और वापस लेने के लिए दबाव डालने लगी। मुझे आश्चर्य है कि एक स्कूल टीचर हो कर भी वह अभियुक्तों का साथ दे रही थी। वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वे उनकी जात विरादर के हैं। मैं स्कूल कभी नहीं गयी हूँ किन्तु मैं यह बात अच्छे से जानती हूँ कि जब नारी की इज्जत और आबरू की बात हो तो जात-विरादरी पीछे छूट जाती है।" चांदनी ने आंसू पोछते हुए कहा।
|