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Old 18-09-2014, 10:48 AM   #4
rafik
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Thumbs up Re: प्रेरणादायी जीवन

सपने वे नहीं होते, जो सोते समय दिखते हों, बल्कि सपने तो वे होते हैं, जो इंसान को सोने न दे। सोते समय देखा जाने वाला सपना तो हमें याद भी नहीं रहता। पर जो सपने जागी आंखों से देखे जाते हैं, वे न केवल हमें याद रहते हैं, बल्कि वे हमें सोने ही नहीं देते। सपने वही सच्चे होते हैं, जिसे हमने जागी आंखों से देखा है। जिन्हें सपने सोने नहीं देते, वे महान होते हैं या फिर बन जाते हैं। सपने, दरअसल, हमें बताते हैं कि जिंदगी कैसी होनी चाहिए? प्रगति के पथ पर हमारी न्यूनतम उपलब्धियाँ क्या होनी चाहिए ? असल में हर सफलता का मार्ग सपना देखने से प्रारंभ होता है। हर व्यक्ति सपने में वह देखता है, जो वह वर्तमान में नहीं है, किन्तु भविष्य में अवश्य होना चाहेगा।हर बच्चा सपना देखता है कि आनेवाले कल में वह डाॅक्टर बनेगा, इंजीनियर बनेगा या अपना स्वतंत्र व्यवसाय करेगा। यह सपना उसकी भावी जिंदगी को और उसके प्रयासों को स्वतः वांछित पथ पर डाल देता है। बच्चे के कदम ख़ुद-ब-ख़ुद उस दिशा को पकड़ने लगते हैं।

डा. महेश परिमल


संक्षिप्त परिचय : छत्तीसगढ़ की सौंधी माटी में जन्मे महेश परमार ‘परिमल’ मूलत: एक लेखक हैं। बचपन से ही पढ़ने के शौक ने युवावस्था में लेखक बना दिया। आजीविका के रूप में पत्रकारिता को अपनाने के बाद लेखनकार्य जीवंत हो उठा। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसके सपने कभी उसकी पलकों में कैद नहीं हुए, बल्कि पलकों पर तैरते रहे और तैरते-तैरते किनारों को अपनी एक पहचान दे ही दी। आज लेखन की दुनिया का इनका भी एक जाना-पहचाना नाम है।
भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. का गौरव प्राप्त। अब तक सम-सामयिक विषयों पर एक हजार से अधिक आलेखों का प्रकाशन। आकाशवाणी के लिए फीचर-लेखन, दूरदर्शन के कई समीक्षात्मक कार्यक्रमों की सहभागिता। पाठच्यपुस्तक लेखन में भाषा विशेषज्ञ के रूप में शामिल। विश्वविद्याल स्तर पर अंशकालीन अध्यापन। अब तक दो किताबों का प्रकाशन। पहली ‘लिखो पाती प्यार भरी’ को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा दुष्यंत कुमार स्मृति पुरस्कार, दूसरी किताब ‘अनदेखा सच’ को पाठकों ने विशेष रूप से सराहा।

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