Re: !! कुछ गजलें !!
गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है
चारगाह में घोडों के लिये घास नहीं,
लेकिन गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है
कैसे कैसे दोस्त हैं कैसे कैसे धोखे
चबा रहे हैं अंगूर बता अमरूद रहे हैं
ना जाने खो गया है किस अज़ब अन्धेरे में
आंख बन्द करके तलाश अपना वज़ूद रहे हैं
उधार लिये थे चंद लम्हे पिछ्ले जनम में
अभी तक चुका उनका सूद रहे हैं
मकान बेच कर खरीदी थी तोप कोमल ने
ज़मीन बेच के खरीद उसका बारूद रहे हैं
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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